शाकाहारी भोजन से शुद्ध रहता है तन और मन
ग्वालियर. राष्ट्रीय संत चिन्मयानंद बापू ने कहा है कि मनुष्य को अपने जीवन में शुद्ध और शाकाहारी भोजन करना चाहिये इससे लोगों का तन, मन स्वस्थ्य रहेगा और भगवान की भक्ति में भी लोगों का मन लगेगा। उन्होंने यह भी कहा कि लोगों को अपने बच्चों को बुजुर्गो की बात सुनने तथा मानने के लिए भी प्रेरित करना चाहिये। वे यहां महलगांव स्थित कैलादेवी माता मंदिर मैदान में आयोजित संगीतमयी रामकथा के अंतिम दिन की कथा के विश्राम से पूर्व सुंदरकांड तक की कथा श्रद्धालुओं को अपने श्रीमुख से सुना रहे थे। भागवत प्रेम परिवार की ओर से आयोजित रामकथा में संत चिन्मयानंद ने आगे कहा कि टीवी पर कई विज्ञापन आते हैं और खानपान को शाकाहारी बताते हुए खाने को प्रेरित करते हैं। लोग ऐसे विज्ञापनों से भ्रमित होकर खानपान भी करते हैं, लेकिन वह इससे बलवान ना होकर कमजोर ही होते हैं।
अपनी तारीफ में नहीं खोना चाहिए
संत चिन्मयानंद ने कथा को आगे सुनाते हुए कहा कि मनुष्य को जीवन में अपनी तारीफ में ज्यादा नहीं खोना चाहिये। उन्होंने कहा कि वक्त के साथ लोगों को भी छोटा और बड़ा बन जाना चाहिये। जैसे समुद्र को लांघते हुए सुरसा के सामने हनुमान जी ने अपने शरीर का आकार छोटा कर लिया और उसके मुंह से होकर बाहर आ गये। इतना ही नहीं उन्होंने ईष्र्या रूपी राक्षसी जो आसमान में उड़ रहे पक्षियों को अपनी ओर खींच कर खाती थी का भी संहार किया। उन्होंने कथा के माध्यम से कहा कि मनुष्य में ईष्र्या रूपी बुराई कभी ना कभी आती ही है, उसे इससे दूर रहना चाहिये। रामकथा का समापन बुधवार 8 जनवरी को हवन एवं भंडारे के साथ किया जाएगा।