ज्ञापन में व्यावसायिक परीक्षा मंडल द्वारा मार्च 2017 में आयोजित ऑनलाइन परीक्षा की घोषित आंसर सीट में बदलाव का आरोप लगाया गया है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सहायिका एकता यूनियन की अध्यक्ष सीमा दौनेरिया व महासचिव प्रसून राठौर के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं व सहायिकाओं ने पहले एमएस रोड पर रैली निकाली फिर कलेक्ट्रेट पहुंचकर घेराव आंदोलन किया। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन परीक्षा के परिणाम में पूर्व में घोषत आंसर सीट को बाद में बदल दिया गया है, जो गलत है। इसलिए पुरानी सीट को ही लागू किया जाए। गलत आंसर सीट को निरस्त करने और सही निर्णय होने तक विभाग में भर्ती पर रोक लगाने की मांग ज्ञापन में की गई।
संगठन ने अनौपचारिक शिक्षा के लिए बिना किसी मानदेय के आंगनबाड़ी दीदी की नियुक्ति की कवायद पर भी आश्चर्य व्यक्त किया। तीन दिवसीय आंदोलन के अंतिम दिन कार्यकर्ता व सहायिकाओं ने कहा कि उन्हें तृतीय व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी माना जाए और न्यूनतम वेतनमान सलाहकार परिषद की अनुशंसा लागू की जाए। इसके तहत कार्यकर्ता को अर्धकुशल व सहायिका को अकुशल श्रमिक मानकार न्यूनतम वेतनमान १८ हजार रुपए का प्रावधान लागू किया जाए। बिना योजना व मानदेय के आंगनबाड़ी दीदी की नियुक्ति प्रक्रिया को रद्द किया जाए। सेवानिवृत्ति पर केरल और त्रिपुरा की तरह पेंशन दी जाए। कर्नाटका में अंशदायी पेंशन योजना लागू है, जबकि महाराष्ट्र में सेवानिवृत्ति पर कार्यकर्ता को एक लाख व सहायिका को 75 हजार रुपए दिए जाते हैं।
मप्र में काम के घंटे भी ज्यादा हैं और सेवानिवृत्ति पर कुछ नहीं मिलता है। योग्य महिलाओं को कार्यकर्ता के रिक्त ५० फीसदी पदों पर नियुक्ति दी जाए। मिनी आंगनबाड़ी केंद्र को पूर्ण दर्जा देकर मानदेय भी उसी हिसाब से दिया जाए। पर्यवेक्षकों के रिक्त सभी पदों पर भर्ती कार्यकर्ताओं में से ही की जाए। आंगनबाड़ी केंद्र भवन में पंखे, बिजली व उसके बिल देने की व्यवस्था सरकारी स्तर से हो और भवन की मरम्मत व रख-रखाव के लिए 10 हजार रुपए सालाना दिए जाएं। आहरण व संवितरण अधिकार परियोजना से जिले को हस्तांतरित कर देने से होने वाली व्यावहारिक परेशानियों पर भी कार्यकर्ताओं व सहायिकाओं ने विरोध जताया, क्योंकि नई व्यवस्था में तीन-तीन माह तक मानदेय का भुगतान नहीं हो पाता है।