सरकारी स्कूल जो दूसरे स्कूलों के लिए बना आदर्श
ग्वालियरPublished: Mar 09, 2019 06:40:47 pm
हरा भरा मैदान, ५० से अधिक पेड़ पौधे एक अलग सी खुशबू पूरे प्रांगण में फैली हुई थी। हरियाली एक अलग ही सुकून देती है। यह नजारा किसी निजी स्कूल का नहीं बल्कि सरकारी स्कूल का है। हम बात कर रहे हैं अबाड़पुरा हाई स्कूल की। स्कूल की हर दीवार, कमरे और वातावरण इसको दूसरे स्कूलों से अलग बना देता है। सरकारी स्कूल के लिए यह मिसाल बन गया है। स्कूल के शिक्षकों ने भी इसे बहुत ही सलीके से व्यवस्थित किया है। यही कारण है कि शासकीय योजनाओं का लाभ तो अन्य स्कूलों को भी मिलता है लेकिन यहां सभी व्यवस्थाएं नजर आती हैं। विद्यालय की हर दीवार, क्लासरूम पर तरह तरह की पेंटिंग उकेरी गई हैं जो कि सीख देती हैं।
सरकारी स्कूल जो दूसरे स्कूलों के लिए बना आदर्श
76 साल पहले हुई थी स्थापना
अबाड़पुरा विद्यालय की स्थापना एक कमरे के साथ १९५२ में हुई थी। शुरूआत में स्कूल सिर्फ प्राथमिक था। बाद में यह माध्यमिक बना और इस साल से ही इसे हाईस्कूल का दर्जा मिला है। विद्यालय में बच्चों के लिए जरूरी सभी सुविधाएं मुहैया कराई गई हैं। यहां बच्चे बहुत ही सलीके से रहते हैं। वर्तमान में विद्यालय में ७५० के आसपास स्टूडेंट्स हैं। इसमें से प्राइमरी में ४३७, मिडिल में २६० और ५० बच्चे हाईस्कूल में हैं। इन बच्चों को देखकर लगता ही नहीं कि ये सरकारी स्कूल के बच्चे हैं। विद्यालय में मौजूद सुविधाएं तो एक संदेश देती ही हैं लेकिन यहां के बच्चे भी बहूमुखी प्रतिभा के धनी है। इन्हें सिर्फ पढ़ाया ही नहीं जाता है बल्कि विभिन्न गतिविधियों में भी ये शिरकत करते हैं। जिससे यह बाकी बच्चों की तुलना में अलग बन जाते हैं।
परिसर को बनाया हरा भरा
विद्यालय पर्यावरण को लेकर भी कार्य कर रहा है। हेडमास्टर गौड़ ने बच्चों को पर्यावरण के बारे में भी बताया है। यही कारण है कि परिसर को हरा भरा बनाया गया है। २००८ में उन्होंने ही यहां बच्चों के साथ मिलकर ५० पौधे रौपे थे जो कि आज वृक्ष बन चुके हैं और विद्यालय को अलग ही खूबसूरती प्रदान करते हैं। शिक्षकों ने बच्चों को पर्यावरण के महत्व के बारे में बताया और उन्होंने ही मिलकर इन्हीं सींचा। बच्चे आज भी इन पेड़ों की देखभाल करते हैं। बच्चों को यहां पढ़ाई के साथ ही उनकी अन्य एक्टिविटीज पर भी पूरा फोकस रहता है। यही कारण है कि स्कूल में बच्चों के लिए कैरम, शतरंज, फुटबॉल आदि खेल खेलते हैं। इसके साथ ही मैदान पर झूला, फिसलपट्टी आदि की व्यवस्था भी की गई है।
एक मात्र स्कूल में डाइनिंग हॉल
शहर के सरकारी स्कूलों की हालत किसी से छिपी नहीं है। कहीं पर भवन नहीं है तो वहीं कहीं पर पीने के पानी तक की व्यवस्था नहीं है। आलम यह है कि अधिकांश स्कूलों में शौचालय तक की व्यवस्था नहीं है। वहीं अबाड़पुरा स्कूल में बच्चों को दिए जाने वाला मध्यान्ह भोजन के लिए डाइनिंग हॉल की व्यवस्था की गई है। यह शहर का एकमात्र स्कूल है जहां बच्चों के लिए डाइनिंग हॉल बनाया गया है। जहां सभी बच्चे एक साथ बैठकर भोजन करते हैं। इसके साथ ही बच्चों को स्मार्ट क्लास की सुविधा भी मुहैया कराई गई है। नवंबर २०१८ में यहां स्मार्ट क्लास की शुरूआत की गई। जिससे अब बच्चे कंप्यूटर, एलईडी टीवी और प्रिंटर की सहायता से अध्यापन कर रहे हैं।