पिछले तीन माह में मुरैना, भिण्ड और चंदूपुरा में जहरीली शराब पीने से करीब 33 लोगों की मौत हो चुकी है इसको लेकर लगातार शैलेष सिंह निशाने पर थे। इस संबंध में मुख्यमंत्री से भी शिकायत की गई थी, लेकिन उसके बाद भी उनको नहीं हटाया गया था। हाल ही में भिण्ड और ग्वालियर में जहरीली शराब पीने से हुई मौत के बाद आखिरकार शासन को सिंह का हटाने का निर्णय लेना पड़ा। उल्लेखनीय है कि शैलेष सिंह ने अपनी नौकरी के दौरान सबसे ज्यादा चंबल और ग्वालियर जिले में ही पदस्थ रहे हैं।
जहरीली शराब कहां से आई नहीं चला पता
हाल में भिण्ड और चंदूपुरा में जहरीली शराब पीने मौत से कई लोगों की मौत हो गई थी, लेकिन आबकारी टीम यह पता नहीं लगा सकी कि यह शराब कहां से आई और किसने बेची। आशंका जताई जा रही है कि मालनपुर में लाइसेंसी दुकान चलाने वाले लोगों ने मुनाफे के लिए अवैध रूप से शराब को बेचा था। हालांकि इस मामले में भी जांच में लापरवाही की गई।
दोषी माना था, फिर भी नहीं हुई थी कार्रवाई
प्रभारी उपायुक्त सिंह के कार्यकाल में चंबल अंचल में सबसे ज्यादा अवैध रूप से शराब बेचने के मामले सामने आए। जांच में ये बात सामने आई थी कि आबकारी विभाग के उडऩदस्ते ने पिछले कई साल से नकली शराब और एमआरपी से अधिक कीमत पर शराब बेचने की शिकायतें आई थीं, लेकिन उसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसलिए अवैध शराब बेचने और बनाने का कारोबार चंबल अंचल में फलता-फूलता रहा।
मुरैना में सिंह के कार्यकाल में 24 मौत से पहले सिर्फ 10 केस बनाए गए थे और 412 लीटर शराब ही जब्त की गई थी। हालांकि मुरैना मामले में मंत्री जगदीश देवड़ा ने भी शैलेष सिंह को दोषी माना था इस मामले में सब इंस्पेक्टर पर कार्रवाई की थी और शैलेष सिंह को हटाने के आदेश भी जारी होने की खबर थी, लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। बल्कि जांच समिति में सिंह को शामिल कर लिया गया।