< पत्रिका ने जमीन के खुर्दबुर्द करने के तरीकों का भी खुलासा किया था। दो लोग जमीन विवाद का दावा पेश करते हैं। इसमें शासन को भी प्रतिवादी बनाया जाता है। जब इस मामले की सुनवाई होती है, तब शासन को एक्स पार्टी कराया जाता है। एक पक्ष केस हारता है।
< शासन के एक्स पार्टी होने से जवाब नहीं आता है। जमीन की वास्तविक स्थिति कोर्ट के समक्ष नहीं आती है। एक पक्षीय आदेश वादियों के पक्ष में हो रहे हैं।
< सरकारी जमीन में शासन का जवाब पहुंचता तो वास्तविक सामने आ जाती है। अभी तक शासन ने जो केस हारे हैं, उनमें उपस्थित नहीं है। तहसीलदार भी नहीं आते हैं।
< मंदिरों की जमीनें सबसे ज्यादा खुर्दबुर्द हुई हैं। माफिया ने दावे लगाकर अपने नाम जमीनें कराई हैं। दावे में माफी औकाफ को पार्टी ही नहीं बनाया जा रहा है। जो सरकारी वकील पैरवी के लिए जा रहे हैं, वह भी इसकी जानकारी कोर्ट को नहीं देते हैं।