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गुरुवार को ग्वालियर पहुंचे केंद्रीय कृषि मंत्री (Agriculture Minister) नरेंद्र सिंह तोमर मीडिया से बात कर रहे थे। उन्होंने कहा है कि सरकार ने यह कृषि कानून किसानों के हित के लिए बनाए हैं। कृषि सुधार कानूनों की वापसी के अतिरिक्त किसी भी विषय पर किसानों और उनकी यूनियनों से बात करने के लिए सरकार हमेशा तैयार है।
तोमर ने कहा कि जो नए कानून बनाए गए हैं वो कृषि वैज्ञानिकों (agricultural scientists) की 30 साल की मेहनत का प्रतिफल है। देश में अधिकतर किसान संगठन कृषि कानूनों के समर्थन में हैं। हमने विरोध करने वाली किसान यूनियन से भी बात करने की भरपूर कोशिश की। 11 दौर की बातचीत हो चुकी हैं, लेकिन उनके समझ में यह कानून नहीं आ रहा है, तो सरकार की इसमें कोई गलती नहीं है।
कृषि मंत्री (narendra singh tomar) ने कहा कि ऐसा नहीं है कि किसानों से बातचीत बंद हो गई है, अब भी किसानों से बातचीत के रास्ते खुले हुए हैं। कोई भी संगठन कभी भी कृषि कानूनों पर बात करने आ सकता है।
तोमर ने कहा कि कृषि के यह कानून किसानों के जीवन में परिवर्तन लाने वाले हैं, क्योंकि इन्हें बनाने में किसानों की बहुत मेहनत लगी हुई है। इसलिए विरोध करने वालों को यह बात ध्यान रखना चाहिए कि सबकुछ उनके हित में ही है। तोमर ने यह भी कहा कि किसानों की आय बढ़ाने के लिए यह कानून बनाए गए हैं। एमएसपी (MSP) बढ़ाने का काम हो रहा है।
कई बार हुई आंदोलन खत्म करने की अपील
गौरतलब है कि कृषि मंत्री विरोध करने वाले संगठनों से कई बार अपील कर चुके हैं कि वे यह आंदोलन खत्म कर दें। पिछले दिनों तोमर ने सोशल मीडिया के जरिए भी अपील की थी कि आंदोलन खत्म कर बातचीत करें।
कृषि विद्यालय में था कार्यक्रम
केंद्रीय मंत्री ग्वालियर में राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्व विद्यालय में गुरुवार को आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे थे। उन्होंने यहां बालिका छात्रावास का उद्घाटन किया। छात्रावास का निर्माण भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की ओर से दिए गए 2 करोड़ रुपए की लागत से हुआ है। कार्यक्रम में ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर, उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) भरत सिंह कुशवाह, सांसद विवेक नारायण शेजवलकर समेत कृषि अनुसंधान परिषद के अधिकारी मौजूद थे।