इसके डैमेज हिस्से पर वेल्डिंग की गई है, इसलिए सवाल उठ रहा है कि संबंधित इंचार्ज और प्रोजेक्ट मैनेजर ने इसे पास कैसे कर दिया। जब प्लांट लगाने वाली कंपनी को भुगतान की बारी आई तो एक कमेटी का गठन किया गया, जिसने अपनी रिपोर्ट में लगभग 8 आपत्ति लगाईं। इसमें कुछ कमियां तो दूर हो गईं, लेकिन अभी भी डैमेज हिस्से को बदला नहीं गया है। इसके बावजूद विवि के अधिकारियों ने इसका आधा भुगतान भी नियम विरुद्ध कर दिया है।
20 हजार लीटर का है सीओटू टैंक
ओटीसी प्लांट में 20 हजार लीटर का सीओटू टैंक है, जो डैमेज है। इसेएक हिस्से में वेल्डिंग से जोड़ा गया है। अगर यह हिस्सा फट जाता है या गैस रिसने से आग लगती है, तो विश्वविद्यालय कैंपस के साथ पास में ही निकल रही रेलवे लाइन को भी खतरा हो सकता है।
32 की जगह लगाया छह लाख का टैंक
महाराष्ट्र की कंपनी जेनेसिस टेक्नोलॉजी ने इसे लगाया है। लगभग 1.30 करोड़ में तैयार हुए ओटीसी प्रोजेक्ट में अभी से ही गड़बड़ी सामने आने लगी हैं। कंपनी ने 32 लाख के टैंक की जगह 6 लाख का वेल्डिंग किया हुआ लगा दिया है। वहीं एक मशीन 80 हजार की आती है उसकी जगह 4 हजार की मशीन लगा दी है। इसके कारण कंपनी का कुछ भुगतान भी रुक गया है।
यह काम करता है ओटीसी : ओपन टॉप चेंबर का उद्देश्य इसके अंदर वांछित सीओ-2, तापमान और आद्र्रता के सटीक नियंत्रण और विनियमन के साथ पर्यावरण में उच्च सीओ-2 और अन्य गैसों में पौधों की प्रतिक्रिया का अध्ययन करना है। ओटीसी विकास गतिशीलता और पौधों की उपज प्रतिक्रिया पर उच्च सीओ-2, तापमान और आद्र्रता के प्रभाव की जांच के लिए एक अभिनव और लागत प्रभावी दृष्टिकोण है।
ओटीसी में कुछ कमियां हैं। इन्हें दूर करने के लिए कंपनी से डैमेज हिस्से को बदलने के लिए कहा है। डैमेज हिस्से को छोडकऱ कंपनी को बाकी कार्य का भुगतान किया गया है। कमियां दूर होने पर पूरा भुगतान कर दिया जाएगा। ओटीपी में गड़बड़ी को देखने के लिए एक कमेटी बनाई गई थी।
एसके वर्मा, डीन, राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि महाविद्यालय