शुभम जैन ने पत्रिका से बात करते हुए बताया कि इंडिया की माया अकेडमी ऑफ एडवांसड सिनेमेटिक एनीमेशन इंस्टीट्यूट(एमएएसी) द्वारा ऑल इंडिया लेवल पर उनके सभी इंस्टीट्यूटों सहित फॉरेन में इसके कंसर्न इंस्टीट्यूटों को मिलाकर हर साल 24 एफपीएस इंटरनेशनल अवार्ड आयोजित किया जाता है। इस अवार्ड के क्रम में अपना एनीमेशन कोर्स पूरा कर चुके युवाओं को दो से ढाई मिनट की एनीमेशन मूवी बनाने का टास्क दिया जाता है और इस टास्क को पूरा करने के लिए उन्हें 5 से 6 महीने का समय दिया जाता है। इसी क्रम में उन्हें जल प्रदूषण विषय पर मूवी बनाने को कहा गया।
बकौल शुभम जब उन्हें टास्क दिया गया तो मुम्बई में गणेश उत्सव की धूम थी। जिस पर उनके दिमाग में आइडिया आया कि आस्था के नाम पर लोग किस तरह से जल को प्रदूषित कर रहे हैं, इसी पर आधारित फिल्म उन्होंने बनाई। फिल्म में दर्शाया गया कि लोगों की आस्था के कारण हर साल लाखों जलीय जीव किस तरह अपनी जान गंवा देते हैं। इस फिल्म फेयर अवार्ड में कुल 23 फिल्में आईं, जिनमें से 5 फिल्में नॉमीनेट हुईं। इन पांच फिल्मों में से अपनी-अपनी कैटेगरी में उनकी फिल्म ने 4 गोल्ड मेडल जीते हैं।