शहर की दूध डेयरियों पर 450 से 520 रुपए प्रति किलो के हिसाब से देसी घी बेचा जा रहा है। बिकने के बाद जो दूध बच जाता है, डेयरियों पर उसका देसी घी बना लिया जाता है। इन दिनों तो दूध की आवक कम होने से डेयरियों पर भी देसी घी कम मात्रा में बन रहा है।
देसी घी कारोबारियों के मुताबिक ब्रांडेड देसी घी कंपनियां दामों को बढ़ाने के पीछे कारण तेज पड़ी गर्मी बता रहे हैं। जबकि ऐसा नहीं कंपनियों में उत्पादन तो काफी पहले से हो रहा है। कारोबारियों की मानें तो इन दिनों भी स्टॉक का माल ही निकाला जा रहा है।
देसी घी कारोबारियों की मानें तो शहर में हर रोज देसी घी की खपत करीब 150 टिन की है। यहां पंजाब, हरियाणा, मध्यप्रदेश, दिल्ली, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र आदि स्थानों से ब्रांडेड एगमार्क कंपनियों का देसी घी बिकने आता है। कुछ समय पूर्व तक जो दूध पाउडर 150 रुपए किलो बिक रहा था उसके दाम 300 रुपए किलो को पार कर गए हैं।
ब्रांडेड कंपनियों पर किसी तरह का होल्ड न होने से ये मनमानी कर रहे हैं। यही कारण है कि देसी घी के दामों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। बाजार में स्टॉक का माल आ रहा है। आगे भी दाम बढ़ सकते हैं।
अश्विनी कुमार सोमानी, देसी घी के थोक कारोबारी
ब्रांडेड देसी घी के दामों में पिछले एक महीने में एक हजार रुपए टिन तक बढ़ोतरी हुई है। जबकि बाजार में मांग और बिक्री दोनों ही नहीं बढ़े हैं। इतने अधिक दाम होने से बिक्री और कम हो गई है।
दिलीप खंडेलवाल, अध्यक्ष, खेरिज किराना व्यवसासी संघ