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छात्रवृत्ति घोटाले के 4 मामलों में असिस्टेंट प्रोफेसर की जमानत नामंजूर

locationग्वालियरPublished: Apr 09, 2019 06:55:52 pm

बीआईपीएस कॉलेज खुरैरी में हुए 32 लाख 31 हजार रुपए के चार अलग-अलग छात्रवृत्ति घोटालों में आरोपी सहायक प्राध्यापक डॉ. पीडी शाक्य के अग्रिम जमानत

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छात्रवृत्ति घोटाले के 4 मामलों में असिस्टेंट प्रोफेसर की जमानत नामंजूर

ग्वालियर. बीआईपीएस कॉलेज खुरैरी में हुए 32 लाख 31 हजार रुपए के चार अलग-अलग छात्रवृत्ति घोटालों में आरोपी सहायक प्राध्यापक डॉ. पीडी शाक्य के अग्रिम जमानत आवेदन को विशेष न्यायालय ने खारिज कर दिया। 278 छात्रों के नाम पर बैंक में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर खाते खुलवाकर छात्रवृत्ति की राशि निकालकर यह घोटाला किया गया है। जिसमें आदिम जाति कल्याण विभाग के अधिकारी, बैंक अधिकारी तथा प्रायवेट कॉलेज प्रबंधन व दस्तावेजों की जांच करने वाली नोडल एजेंसी के अधिकारी शामिल हैं।
आरोपी डॉ. शाक्य ने द्वारा अपने आवेदन में कहा कि वर्तमान में वह एसएलपी कॉलेज मुरार सहायक प्राध्यापक है। उसे एससी एसटी एवं ओबीसी छात्रों के स्कॉलरशिप फॉर्म जांच के लिए दिए गए थे। छात्रों ने अपने आईडी से ऑन लाइन स्कॉलरशिप के फॉर्म भरे गए, संबंधित संस्थान द्वारा अपनी आईडी से फॉर्म भरे थे। ऑफ लाइन फॉर्म उनके द्वारा चेक किए गए थे। इस मामले में शासन की ओर से डॉ. शाक्य के जमानत आवेदन का विरोध करते हुए विशेष लोक अभियोजक अभय पाटिल ने कहा कि डॉ शाक्य ने बैंक मैनेजर राधेश्याम गुप्ता व अन्य के साथ मिलकर आदितजाति कल्याण विभाग के पैसों को प्राप्त करने के लिए षड्यंत्र किया। आरोपी कि चारों ही मामलों में प्रत्यक्ष भूमिका है। जिसमें फर्जी दस्तावेजों के सहयोग से फर्जी खाते खोले गए। फरियादी मुनीष राजौरिया ने कहा कि आरोपी को जमानत नहीं दी जाए। मुरार थाना पुलिस द्वारा आरोपी के खिलाफ चार अलग-अलग मामलों में भादसं की धारा 420, 467, 468, 469, 120 बी के तहत जांच में ज्ञात हुआ कि षड्यंत्र में बैंक अधिकारी भी शामिल थे तथा षड्यंत्र के तहत बीआईपीएस कॉलेज खुरेरी के द्वारा एससी, एसटी के 78 विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति स्वीकृत कर उनके फर्जी खाते फर्जी दस्तावेज के आधार पर खोले गए जिनके माध्यम से कुल 7,06475 रुपए से अधिक की राशि इन फर्जी खातों में ट्रांसफर की गई और उसी समय इसे निकाल लिया गया। षड्यंत्र के तहत सभी छात्रों के बैंक एकाउंट बिना किसी उचित कारण के बदल दिए गए।
जांच में पता चला किसी छात्र को नहीं मिली छात्रवृत्ति
जांचकर्ता अधिकारी ने छात्रवृत्ति प्राप्त करना बताए गए खातों की विस्तृत जानकारी ली। तब यह पता चला कि इन खाता धारक नाम के व्यक्तियों को छात्रवृत्ति का कोई पैसा मिला ही नहीं। चूंकि छात्रों के फर्जी खाते खोलकर सरकारी पैसे का गबन किया जाता था इसलिए उन छात्रों को इसकी जानकारी नहीं होती थी कि उनके नाम से पैसा निकाला जा रहा है। आरोपी के खिलाफ अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत पर्याप्त साक्ष्य होने तथा इस अधिनियम की धारा 18 में अग्रिम जमानत के प्रावधान वर्जित होने से आरोपी का अग्रिम जमानत आवेदन खारिज कर दिया।
79 छात्रों के नाम से 11.64 लाख का घोटाला :
बीआईपीएस कॉलेज खुरेरी के एससीएसटी के 79 छात्रों की छात्रवृत्ति स्वीकृत कर फर्जी तरीके से फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से फर्जी खाते खोलकर उसमें 11,64622 लाख रुपए जमा कर उसी दिन निकाल लिए गए। इस मामले में भी किसी भी छात्र को छात्रवृत्ति की राशि नहीं मिली थी।
78 छात्रों के नाम से 7.37 का घोटाला :
बीआईपीएस कॉलेज में तीसरे छात्रवृत्ति घोटाले में 78 छात्रों की फर्जी तरीके से छात्रवृत्ति निकाली गई। जिसमें इन छात्रों के फर्जी खाते खोलकर उसमें 737756 रुपए से अधिक की राशि ट्रांसफर कर उसे निकाल लिया गया। जांच मं पता चला कि इन 78 छात्रों में से भी किसी को भी छात्रवृत्ति नहीं मिली थी।
43 छात्रों के नाम पर 6.32 लाख का घोटाला :
इसी कॉलेज में एससी, एसटी वर्ग के 43 छात्रों के फर्जी दस्तावेजों के आधार पर फर्जी बैंक खाते खोलकर उसमें 632484 रुपए ट्रांसफर कर छात्रवृत्ति की राशि निकाल ली गई। यहां भी जिनके नाम खाते खोले गए उन्हें फूंटी कौडी तक नहीं मिली थी।
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