जांचकर्ता अधिकारी ने छात्रवृत्ति प्राप्त करना बताए गए खातों की विस्तृत जानकारी ली। तब यह पता चला कि इन खाता धारक नाम के व्यक्तियों को छात्रवृत्ति का कोई पैसा मिला ही नहीं। चूंकि छात्रों के फर्जी खाते खोलकर सरकारी पैसे का गबन किया जाता था इसलिए उन छात्रों को इसकी जानकारी नहीं होती थी कि उनके नाम से पैसा निकाला जा रहा है। आरोपी के खिलाफ अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत पर्याप्त साक्ष्य होने तथा इस अधिनियम की धारा 18 में अग्रिम जमानत के प्रावधान वर्जित होने से आरोपी का अग्रिम जमानत आवेदन खारिज कर दिया।
79 छात्रों के नाम से 11.64 लाख का घोटाला :
बीआईपीएस कॉलेज खुरेरी के एससीएसटी के 79 छात्रों की छात्रवृत्ति स्वीकृत कर फर्जी तरीके से फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से फर्जी खाते खोलकर उसमें 11,64622 लाख रुपए जमा कर उसी दिन निकाल लिए गए। इस मामले में भी किसी भी छात्र को छात्रवृत्ति की राशि नहीं मिली थी।
78 छात्रों के नाम से 7.37 का घोटाला :
बीआईपीएस कॉलेज में तीसरे छात्रवृत्ति घोटाले में 78 छात्रों की फर्जी तरीके से छात्रवृत्ति निकाली गई। जिसमें इन छात्रों के फर्जी खाते खोलकर उसमें 737756 रुपए से अधिक की राशि ट्रांसफर कर उसे निकाल लिया गया। जांच मं पता चला कि इन 78 छात्रों में से भी किसी को भी छात्रवृत्ति नहीं मिली थी।
43 छात्रों के नाम पर 6.32 लाख का घोटाला :
इसी कॉलेज में एससी, एसटी वर्ग के 43 छात्रों के फर्जी दस्तावेजों के आधार पर फर्जी बैंक खाते खोलकर उसमें 632484 रुपए ट्रांसफर कर छात्रवृत्ति की राशि निकाल ली गई। यहां भी जिनके नाम खाते खोले गए उन्हें फूंटी कौडी तक नहीं मिली थी।