ग्वालियर

पृथ्वी के कई स्थानों पर दूसरे ग्रहों जैसा एटमॉस्फियर

एमआइटीएस कालेज में आयोजित वर्कशॉप के पहले सत्र में सम्मिलित अन्य कोलेजों के शिक्षकों को एक डॉक्यूमेंट्री फि ल्म वंडर्स ऑफ सोलर सिस्टम दिखाई गई, जिसमें सौर मंडल में मौजूद सभी ग्रहों और सूर्य की पूर्ण जानकारी दी गई।

ग्वालियरMar 13, 2019 / 11:47 pm

Harish kushwah

Documentary

ग्वालियर. एमआइटीएस कालेज में आयोजित वर्कशॉप के पहले सत्र में सम्मिलित अन्य कोलेजों के शिक्षकों को एक डॉक्यूमेंट्री फि ल्म वंडर्स ऑफ सोलर सिस्टम दिखाई गई, जिसमें सौर मंडल में मौजूद सभी ग्रहों और सूर्य की पूर्ण जानकारी दी गई। साथ ही बताया गया कि पृथ्वी के कई स्थानों पर ऐसी पर्यावरण स्थितियां मौजूद हैं, जो कि सौरमंडल में और दूसरे ग्रहों पर भी पाई जाती है। डॉक्यूमेंट्री फि ल्म में बताया गया कि हम किस तरह सौर ऊर्जा को अपनी पृथ्वी पर इस्तेमाल करते हैं और किस हद तक करते हैं। भविष्य में होने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए हम क्या नए कदम उठा सकते हैं।
कहीं भी कर सकते हैं इंस्टॉल

चौथे सत्र में ड्रीम केयर कंसलटेंसी के रुस्तम भरूचा ने सोलर पावर प्लांट के इंस्टॉलेशन के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि हम घरों में, ऑफि स में या कहीं भी सोलर प्लांट को किस तरह इंस्टॉल कर सकते हैं, जिससे उसकी कॉस्ट कम आए। उन्होंने इस दौरान आने वाली परेशानियों एवं उससे निपटने की विधि पर चर्चा की।
सिलिकॉन के उत्पादन का 12 परसेंट करते हैं यूज

एमआइटीएस के प्रो. डॉ. सीएस मालवीय ने बताया कि किस तरह हम ‘सिलिकॉन सोलर सेल्सÓ का उत्पादन करते हैं। उन्होंने बताया कि सोलर पैनल का जो मॉड्यूल होता है, उस पर एक एंटीरिफ्लेक्शन कोटिंग करना अति आवश्यक होता है, ताकि हम सूर्य से आ रही ज्यादा से ज्यादा ऊर्जा को इस्तेमाल कर सकें। उन्होंने बताया कि जितना भी सिलिकॉन हम उत्पादन करते हैं, उसका सिर्फ और सिर्फ 12 परसेंट ही हम सोलर एनर्जी के लिए इस्तेमाल कर पाते हैं। तीसरे सत्र में जीवाजी यूनिवर्सिटी के प्रो. पी राजाराम ने थिन फि ल्म फ ोटोवोल्टिक मैटेरियल्स के बारे में जानकारी दी।
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