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श्रद्धा और इंतजार से भगवान की प्राप्ति अवश्य होती है

locationग्वालियरPublished: Jan 05, 2020 12:03:34 am

Submitted by:

Narendra Kuiya

– महलगांव स्थित कैलादेवी माता मंदिर में संत चिन्मयानंद की रामकथा का छटवां दिन

श्रद्धा और इंतजार से भगवान की प्राप्ति अवश्य होती है

श्रद्धा और इंतजार से भगवान की प्राप्ति अवश्य होती है

ग्वालियर. मनुष्य में यदि श्रद्धा और इंतजार करने का साहस हो तो उसे भगवान के दर्शन अवश्य होते हैं। यह विचार संत चिन्मयानंद ने शनिवार को भागवत प्रेम परिवार की ओर से आयोजित महलगांव स्थित कैलादेवी माता मंदिर मैदान पर चल रही संगीतमयी रामकथा में छटवे दिन व्यक्त किए।
संत चिन्मयानंद ने कहा कि व्यक्ति का ईश्वर में अगाध विश्वास हो और उसमें यदि इंतजार करने की क्षमता हो तो उसे भगवान अवश्य प्राप्त होते हैं। उन्होंने शबरी का उदाहरण देते हुए कहा कि शबरी अपनी कुटिया में ही भगवान राम के आने की प्रतीक्षा करती रही। शबरी को भगवान राम ने स्वयं कुटिया पर पहुंच कर दर्शन दिये। उन्होंने कहा कि आज मनुष्य थोड़ा सा इंतजार करता है और परमात्मा के नहीं मिलने पर उसकी श्रद्धा डगमगा जाती है। लेकिन यदि मनुष्य में दृढ़ विश्वास हो तो उसे भगवान जरूर प्राप्त होते हैं। राम कथा को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि भगवान राम विश्वामित्र ऋषि के साथ उनके आश्रम में आकर उनकी सभी आज्ञाओं का पालन करते हैं। बाद में जनकपुर जाते समय मार्ग में भगवान राम ने एक पत्थर की शिला को देखा और विश्वामित्र ऋषि से प्रश्न किया। इस पर उन्होंने अहिल्या के अपराध की कथा भगवान राम को सुनाई और उन्हें बताया कि वह पत्थर के रूप में भी भगवान के आने की बरसों से प्रतीक्षा कर रही है। इसके बाद भगवान श्रीराम ने पत्थर रूपी अहिल्या का अपनी चरण रस से उद्धार किया। उन्होंने कहा कि इसलिए मनुष्य को परमात्मा की प्रतीक्षा तब तक करना चाहिये जब तक परमात्मा हमसे प्रसन्न ना हो जाए। जनकपुर पहुंच कर विश्वामित्र भगवान राम से अहंकार रूपी धनुष को तोडऩे को कहते हैं और विश्वामित्र की आज्ञा पाकर भगवान राम एक झटके में धनुष को तोड़ देते हैं। इसके बाद रामकथा में भगवान राम के विवाह की कथा कही गई। रामकथा में सातवें दिन रविवार को राम वनवास और केवट प्रसंग की कथा होगी।

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