उन्होंने कहा कि एक्ट में बच्चों को बचाने के लिए पर्याप्त उपाय किए गए हैं। चाइल्ड लाइन के बारे में भी उन्होंने विस्तार से जानकारी दी। बाल संरक्षण अधिकारी अजय सक्सेना ने बताया कि कोई भी बच्चों के प्राइवेट पार्ट को नहीं देख सकता। सिर्फ डॉक्टर को छूट दी गई है, लेकिन वो भी पालकों की मौजूदगी में ही ऐसा कर सकता है। उन्होंने सैफटच और अनसेफ टच के बारे में भी विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि यदि कोई गलत दृष्टि से टच करता है तो शोर मचाना है इसके बाद सुरक्षित स्थान पर पहुंचना है। जैसे स्कूल में घटना हुई है तो टीचर से संपर्क करना है। घर के आसपास की घटना है तो माता-पिता को बताना है। उन्होंने बताया कि बाल संरक्षण ने एक पोर्टल भी शुरू किया है। गूगल पर पोर्टल को सर्च कर कोई भी बच्चा अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है। आरोपी पर तुरंत एफआईआर दर्ज की जाएगी।
चाइल्ड लाइन के टोल फ्री नं. 1098 पर संपर्क कर मदद ली जा सकती है। यदि कोई बच्चे का नाम उजागर करता है तो उस पर 7 साल की सजा का प्रावधान किया गया है। कार्यशाला के अंत में सामान्य ज्ञान पर प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। विजयी छात्र-छात्राओं को पुरस्कार के रूप में डिक्शनरी प्रदान की गई। अनुष्का कुशवाह कक्षा 6 ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। इस अवसर पर जिला बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष डॉ. रविंद्र शर्मा, बाल संरक्षण अधिकारी अनिल शर्मा, शासकीय एमजेएस महाविद्यालय के प्रो. आरए शर्मा, महिला सशक्तिकरण विभाग के जितेंद्र शर्मा, सुधीर शर्मा, दीपेंद्र कुमार शर्मा, स्कूल के संचालक संजय भदौरिया उपस्थित रहे।