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बिगड़ी लाइफस्टाइल में हेल्दी रखेगी आयुर्वेद औषधि

locationग्वालियरPublished: Jan 19, 2019 07:35:15 pm

Submitted by:

Harish kushwah

आयुर्वेद प्रारंभ से ही सबसे प्रभावी व सुरक्षित चिकित्सा पद्धति रही है, जिसमे समस्त रोगों का निदान सम्भव है। देश व समाज को आयुर्वेद ने बहुत कुछ दिया है, जिसका लाभ आम जनता तक सुगमता से पहुंच रहा है।

Ayurveda medicine

Ayurveda medicine

ग्वालियर. आयुर्वेद प्रारंभ से ही सबसे प्रभावी व सुरक्षित चिकित्सा पद्धति रही है, जिसमे समस्त रोगों का निदान सम्भव है। देश व समाज को आयुर्वेद ने बहुत कुछ दिया है, जिसका लाभ आम जनता तक सुगमता से पहुंच रहा है। आज जिस प्रकार से हमारी लाइफस्टाइल में परिवर्तन आया है, उसमें केवल आयुर्वेद ही प्रभावी है। इसमें गंभीर से गंभीर रोगों को भी ठीक करने की ताकत है। यह बात मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित हेल्थ रिसर्च विभाग के पूर्व सचिव डॉ. वीएम कटोच ने वर्कशॉप के दौरान कही। यह आयोजन जीवाजी यूनिवर्सिटी की ओर से गालव सभागार में शुक्रवार को आयोजित किया गया था। इसका विषय ‘हेल्थ केयर मैनेजमेंट में आयुर्वेद की भूमिका और पंचकर्म रखा गया था। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में एमिल फार्मास्यूटिकल, डॉ. अनिल शर्मा उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता जेयू की कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला ने किया।
केले का छिलका स्वास्थ्य के लिए लाभकारी

प्रो. नागप्पा ने आयुर्वेद में प्राकृतिक फ लों व वनस्पतियों के चिकित्सकीय गुणों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि केले का छिलका स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी है। उन्होंने बताया कि केले व इसके छिलके के प्रयोग से लगभग सौ बीमारियों का निदान संभव है, जिसमें उच्च रक्तचाप, शरीर की चयापचय क्रिया व वजन को नियंत्रित रखना आदि शामिल हैं।
जेयू ने किया एमओयू पर हस्ताक्षर

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के डॉ. लक्ष्मण सिंह द्वारा पाइल्स रोग के आयुर्वेदिक प्रभावी उपचार के बारे में जानकारी दी गई। प्रोफेसर संगीता शुक्ला ने आयुर्वेद की एमिल फ ार्मास्यूटिकल के निदेशक के समक्ष एमओयू पर हस्ताक्षर किया। कार्यक्रम के ऑर्गेनाइजिग सेक्रेट्री प्रो. जीबीकेएस प्रसाद ने आभार व्यक्त किया।
किसान और सरकार के बीच खत्म हों बिचौलिए

एक अर्थशास्त्री के रूप में किसानों की कर्जमाफ ी सर्वथा अनुपयुक्त है। क्योकि एक समस्या को हल करने के निए दूसरी समस्या उत्पन्न नहीं होनी चाहिए। सरकार को ऐसे नियम बनाने चाहिए, जिनके द्वारा भव्षिय में किसी भी प्रकार के वाद-विवाद की स्थिति न बनें। यह बात मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित डॉ. हरि सिंह गौर विश्वविद्यालय के आर्थ ाास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. गिरिश मोहन दुबे ने सेमिनार के दौरान कही। जीवाजी विश्वविद्यालय के आर्थशास्त्र विभाग की ओर से ‘कृषि ऋ ण माफ ी एक आर्थिक विशलेषण विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया। विभाग के एचओडी डॉ. एसके शुक्ला एवं एमबीए बिजनिस इकोनॉमिक्स के समन्वयक डॉ. शंातिदेव सिसौदिया ने प्रो दुबे का स्वागत किया।
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