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मृत्यु के बाद अब डॉक्टरों की पढ़ाई के काम आएंगे बाबा जाधव

locationग्वालियरPublished: May 30, 2019 03:11:44 pm

Submitted by:

Gaurav Sen

परिवार ने उनकी देह मेडिकल कॉलेज को दी दान: पत्नी ने भी किया था देहदान

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मृत्यु के बाद अब डॉक्टरों की पढ़ाई के काम आएंगे बाबा जाधव

ग्वालियर. आबकारी विभाग से सेवा निवृत्त हुए बाबा जाधव की मृत्यु के बाद भी दूसरों के काम आने की ख्वाहिश बुधवार को पूरी हो गई। बाबा जाधव की पुत्रवधु नेहा जाधव तथा परिजन व समाज के अन्य लोगों ने बाबा जाधव की देह को मेडिकल कॉलेज को सुपुर्द करने की प्रक्रिया पूरी की। अब उनकी देह मेडिकल कॉलेज के छात्रों के काम आएगी।आठ माह पूर्व 19 सितंबर 2018 को केबी जाधव उर्फ बाबा जाधव की पत्नी विमल ताई जाधव के निधन पर उनकी इच्छा के अनुसार उनकी देह को मेडिकल कॉलेज को दान दी गई थी। बुधवार को सुबह 10 बजे मेडिकल कॉलेज के एनाटॉमी विभाग में बाबा जाधव के परिवार के लोग उनकी देह को लेकर पहुंचे, यहां सभी ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की इसके बाद देहदान की प्रक्रिया पूरी की गई।

 

जायंट्स ग्रुप ऑफ ग्वालियर के संस्थापक अध्यक्ष सुरेश घोडके ने बाबा जाधव के निधन के बाद मेडिकल कॉलेज के एनाटॉमी विभाग को देहदान की जानकारी दी थी। उनकी पुत्र वधु के भोपाल से आने पर यह प्रक्रिया की गई। इस अवसर पर एनाटॉमी विभाग के अध्यक्ष डॉ. एसके शर्मा, डॉ. राजेन्द्र गुप्ता, डॉ अखिलेश त्रिवेदी, डॉ मनीष चतुर्वेदी, डॉ अनिल सत्या, डॉ राहुल शर्मा तथा जायंट्स गु्रप ग्वालियर के अध्यक्ष अनिल चतुर्वेदी, रितु यादव, राज रजक, हरीश थोरानी के अलावा परिजन में प्रदीप जाधव, संजय जाधव, शशिकला जाधव व समाज के अन्य लोग उपस्थित थे।

 

पत्नी के देहदान के बाद की थी स्वयं के देहदान की घोषणा
बाबा जाधव ने आठ माह पूर्व पत्नी के निधन के बाद जब उनका देहदान किया था तभी उन्होंने कहा कि उनके निधन के बाद उनका भी देहदान किया जाए। उन्होंने इसके लिए आवेदन भी भरा था। बाबा जाधव के दोनों ही पुत्रों का निधन हो चुका है। छप्परवाला पुल शिंदे की छावनी निवासी बाबा जाधव 90 साल के थे।

 

पति-पत्नी का देहदान एक मिसाल
इस अवसर पर एनाटॉमी विभाग के अध्यक्ष डॉ. एसके शर्मा ने कहा कि बाबा जाधव एवं उनकी पत्नी विमल ताई जाधव द्वारा किया गया देहदान एक मिसाल है। अभी तक ऐसा नहीं हुआ है।

 

25 छात्रों को पढ़ाई के लिए लगता है एक शरीर
एनाटॉमी के प्रोफेसरों का कहना है कि नियमों के अनुसार मेडिकल कॉलेज के प्रत्येक 25 छात्रों के लिए एक देह की जरूरत होती है। मानव शरीर संरचना के अध्ययन के लिए यह आदर्श स्थिति है, लेकिन कॉलेज को शव नहीं मिलने से छात्रों के सामने पढ़ाई में परेशानी आ जाती है। पहले लावारिस शवों को पढ़ाई के लिए कानूनी प्रक्रियाओं के बाद उपयोग में लिया जाता था लेकिन अब ऐसे प्रत्येक शव का पोस्टमार्टम अनिवार्य होने से वह शव छात्रों के लिए उपयोगी नहीं रहता है। इस कारण दिक्कत होती है।

 

अब तक केवल 29 देहदान ही हुए
जीआर मेडिकल कॉलेज के विभागाध्यक्ष डॉ एसके शर्मा ने कहा कि कॉलेज को अब तक केवल 29 देहदान ही हुए हैं। उन्होंने कहा कि देहदान के प्रति लोगों में जो जागरुकता आना चाहिए वह नहीं आई है। यही कारण है कि देश के साथ ही प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में देह की कमी रहती है। जायंट्स ग्रुप ऑफ ग्वालियर की पहल पर यह दूसरा देहदान है।

 

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