मंत्री ने कहा कि मैं अभी एसपी ने कहता हूं, आप बिल्कुल भी चिंता न करें। मंत्री ने परिजनों से पूछा कि आपको दो लाख रुपए की मदद मिल गई क्या?, तो उन्होंने नहीं मिलने की बात कही। इस पर मंत्री ने जिला पंचायत सीईओ एचपी वर्मा से कहा कि इनके खाते में जल्द से जल्द सहायता राशि डलवाई जाए। इसके बाद वह रात पौने आठ बजे जिला अस्पताल पहुंचे,उन्होंने सबसे पहले मेटरनिटी विंग का निरीक्षण किया। यहां बता दें कि 16 अक्टूबर को शिवपुरी जिला अस्पताल में शर्मसार करने वाली तस्वीर सामने आई थी जहां एक मृत मरीज़ की लाश पांच घंटे वॉर्ड के बेड पर पड़ी रही और उसकी आंख और शरीर पर चींटियां लग गईं थी।
बाद में मामला उजागर होने के बाद शव को मेडिकल वार्ड से अलग किया। ख़बर मिलते ही मुख्यमंत्री कमलनाथ ने घटना की जांच के आदेश देते हुए कहा था कि इस तरह की असंवेदनशीलता कतई बर्दाश्त नहीं की जा सकती। वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी तुंरत कार्रवाई करने की बात कही। इसके बाद प्रशासन में हडक़ंप मच गया और बाद में जिला अस्पताल के सिविल सर्जन सहित ड्यूटी डॉक्टर व तीन नर्सों को तत्काल निलंबित कर दिया गया है।
मीडिया से ये बोले मंत्री
परिजनों से मिलने के बाद मीडिया से चर्चा के दौरान जब मंत्री से पूछा कि इस मामले में ड्यूटी डॉक्टर प्रथम दृष्टया दोषी थे, लेकिन उनके निलंबन की कार्रवाई अभी प्रस्तावित है, जबकि सिविल सर्जन डॉ. पीके खरे को निलंबित कर दिया। मंत्री ने कहा कि जल्दबाजी में ऐसा हो गया होगा, लेकिन मैंने अभी रास्ते में ही कमिश्रर से कहा है कि जो निर्दोष है, उसे सजा न दी जाए, लेकिन दोषी को किसी भी सूरत में न बख्शा जाए।
यह है पूरा मामला
करौंदी निवासी बालचंद्र लोधी उम्र 40 साल को पेट दर्द की शिकायत के बाद जिला अस्पताल भर्ती कराया गया था। मंगलवार को इलाज के दौरान अल सुबह उसकी मौत हो गई। मौत के बाद उसके पलंग पर कोई परिजन नहीं था, इस कारण बालचंद्र की लाश पलंग पर ही पड़ी रही। इस दौरान उसकी आंखों व शरीर पर चिटिंयां लग गईं। अस्पताल में ड्यूटी पर तैनात डॉ दिनेश राजपूत सहित स्टाफ नर्स रेवती, अर्चना व प्रियंका ने भी मरीज को देखा परंतु उसको शिफ्ट कराने संबंधी कोई कार्रवाई नहीं की।
अस्पताल प्रबंधन किस कदर लापरवाह है, इसकी बानगी इस बात से मिलती है कि न सिर्फ स्टाफ को मरीजों ने सूचना दी, बल्कि 11 बजे तक जब कोई मृतक बालचंद की सुध नहीं लेने आया तो मरीजों ने ही उसकी पत्नी रामश्री लोधी को बुलाया गया।
जैसे ही रामश्री सूचना मिलने के बाद अस्पताल आई वह फूट-फूट कर रोने लगी। उसने अपने पति की आंख पर चीटियां देखी तो अवाक रह गई। मौके पर मौजूद मरीजों के मुताबिक ऐसे में रामश्री ने ही पल्लू से चीटियां आंख से हटाईं। बाद में अपने पति के शव को जैसे-तैसे मरीजों के सहयोग से ही अस्पताल से लेकर गई।
जिला अस्पताल में एक दो नहीं बल्कि कई शर्मशार करने वाली घटनाएं सामने आई हैं। करीब एक साल पहले जिला अस्पताल में चूहों ने एक न नवजात की अंगुली काट ली थी। इसके बाद इस मामले ने तूल पकडा तो उसके बाद जिला अस्पताल में चूहें पकडऩे का अभियान चलाया था, लेकिन अब भी जिला अस्पताल में चूहे मरीजों बीच धमाचौकड़ी मचाते हुए देखे जा सकते हैं।