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सामाजिक बुराई भू्रण हत्या और दहेज प्रथा पर लगाएं रोक

locationग्वालियरPublished: Jan 05, 2020 11:09:25 pm

Submitted by:

Narendra Kuiya

– कैलादेवी माता मंदिर पर संत चिन्मयानंद की राम कथा का सातवां दिन

सामाजिक बुराई भू्रण हत्या और दहेज प्रथा पर लगाएं रोक

सामाजिक बुराई भू्रण हत्या और दहेज प्रथा पर लगाएं रोक

ग्वालियर. संत चिन्मयानंद ने देश में बढ़ रही भ्रूण हत्या पर कटाक्ष करते हुए कहा कि इस सामाजिक बुराई से बेटियां कम पैदा हो रहीं हैं। उन्होंने यह भी कहा कि दहेज जैसी बुराई को समाज के लोगों को ही दूर करना चाहिये। वे महलगांव स्थित कैलादेवी माता मंदिर मैदान पर भागवत प्रेम परिवार की ओर से आयोजित रामकथा के सातवें दिन रसिकों को कथा का रसपान करा रहे थे।
संत चिन्मयानंद ने कहा कि राम-सीता का विवाह और दशरथ एवं जनक का मिलन दो सागरों के मिलन जैसा है। दशरथ अपनी जगह पूर्ण हैं और जनक भी अपनी पूर्ण हैंं। भगवान के विवाह के बाद जनक ने दशरथ से निवेदन किया कि जिस प्रकार राम और सीता का विवाह हुआ ऐसे ही हमारे घर में तीन बेटियां कुंवारी हैं और आपके यहां भी तीन बेटे कुंवारे हैं क्यों ना उनका भी विवाह इसी तरह संपन्न कराया जाए। उनकी बात को दशरथ ने प्रसन्नता से स्वीकार करते हुए इन भाइयों का विवाह जनक की बेटियों से करा दिया।
दहेज के लिए भिखारी न बनें
संत चिन्मयानंद ने सीता की विदाई का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि आज समाज में विवाह में दहेज मांगने की जो प्रथा बनी हुई है यह प्रथा खत्म होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार हम दूल्हे को राजा के रूप में सम्मान करते हैं, उसे दूल्हा राजा कहते हैं। दूल्हे को आगे भी राजा की तरह ही रहना चाहिए। उसे भिखारी नहीं बनना चाहिए। दूल्हे को अपने बाहुबल पर भरोसा हो तो वह दहेज ना लेकर स्वयं एक नहीं दस मोटर कार खरीद सकेगा। दहेज में एक कार या कुछ अन्य वस्तु मांगकर भिखारी क्या बनना। उन्होंने आगे अयोध्या में विवाह का उत्सव, राम वनवास, निषादराज और केवट प्रसंग की कथा भी सुनाई। सोमवार को भरत चरित्र की कथा होगी।
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