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इस बैंक में बिना कागज और गारंटी के मिलता है लोन,नहीं लगता है कोई भी ब्याज

locationग्वालियरPublished: Mar 22, 2019 07:02:18 pm

Submitted by:

monu sahu

इस बैंक में बिना कागज और गारंटी के मिलता है लोन,नहीं लगता है कोई भी ब्याज

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इस बैंक में बिना कागज और गारंटी के मिलता है लोन,नहीं लगता कोई ब्याज

ग्वालियर। प्रदेश में एक ऐसा बैंक भी है जहां कितना भी रुपए ले लो आपसे कोई ब्याज नहीं लिया जाएगा। साथ ही यहां बिना कागज व गारंटी के लोगों को लोन भी दिए जाते हैं। दरअसल हम बात कर रहे है ग्वालियर चंबल संभाग के श्योपुर जिले का पांडोली गांव किसानों की मदद के लिए मिसाल बन रहा है। यहां स्थित गुसाई जी महाराज मंदिर समानांतर बैंक की तरह काम कर रहा है। यहां से किसानों को जरूरत के मुताबिक लोन दिया जाता है। सबसे बड़ी बात किसानों को इन पैसों पर कोई ब्याज नहीं देना पड़ता है। इसके एवज में गारंटी या किसी तरह के कागजात की जरूरत नहीं होती है। आसपास के करीब 50 गांवों से किसान यहां लोन लेने आते हैं।
बीते दस साल में एक भी लोन बकाया नहीं है। यानी सौ फीसदी कर्ज पटा दिए गए। 300 साल पुराने इस मंदिर की आमदनी हर साल 2.5 लाख रुपए से ज्यादा है। मंदिर में पैसे भी लगातार बढ़ते जा रहे थे इसलिए 10 साल पहले नवलपुरी महाराज समिति ने आदर्श ट्रस्ट समिति बनाई। समिति द्वारा ही किसानों को लोन दिया जाता है। इतना ही नहीं समिति ने आज तक किसी भी किसान को लोन देने से इनकार नहीं किया। समिति द्वारा दो हजार रुपए प्रति बीघा के हिसाब से किसानों को पैसे दिए जाते हैं और हर साल 50-60 किसानों को मदद दी जाती है।
नहीं डूबा आज तक कर्ज का एक भी रुपया
पिछले 10 साल में यहां से सैकड़ों किसानों को मदद दी जा चुकी है। रामदीन बघेल ने बताया कि एक साल में मूलधन अदा करना होता है। मैंने मंदिर से खेती करने के लिए 50 हजार रुपए का कर्ज लिया है। इस धन को मुझे एक साल में अदा करना है। चूंकि रकम पर मुझसे कोई ब्याज नहीं लिया जाएगा। इसलिए मूलधन वापस करने में कोई परेशानी नहीं होगी। लोन देने से पहले कोई गारंटी भी नहीं ली गई है। कहीं ओर से मदद लेता तो जमीन बंधक रखनी पड़ती,पैसा नहीं चुका पाता तो वो भी हाथ से जाती। पर यहां बेफ्रिक होकर लोन लिया जा सकता है।
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हजारों रुपए आता है मेला में चढ़ावा
पुजारी शंभूनाथ योगी ने बताया कि 1100 आबादी वाले पांडोली गांव में 50 फीसदी लोग मंदिर से कर्ज लेकर चुका चुके हैं। दरअसल गुसांई महाराज और उनके शिष्य नवलपुरी महाराज ने संवत 1772 में यहां समाधि ली थी। जिसके बाद लोगों ने यहां मंदिर बनाया और हर गुुरुवार को मंदिर परिसर में लगने वाले मेले में श्रद्धालु आते हैं।
इस दौरान मंदिर में चढ़ाए जाने वाले दान में नकद राशि भी बड़ी मात्रा में होती है। मंदिर में मुस्लिमोंं की भी आस्था है। श्योपुर समेत कोटा,बांरा जिलों से भी यहां श्रद्धालु आते हैं और हजारों रुपए चढ़ावे में रखते हैं।
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