खबर प्रकाशित होने के बाद दोपहर में उपरोक्त जरूरतमंद परिवारों को ना सिर्फ समाजसेवी ही बल्कि प्रशासन के नुमाइंदे भी पर्याप्त खाद्य सामग्री के रूप में मदद लेकर पहुंचे। बताना मुनासिब है कि बंशीलाल व उसकी पत्नी बैकुण्डी को उनके ही तीन बेटों ने शहर में तन्हा छोड़ दिया था।
बैकुण्डी को भी अपने साथ ले गए
बताया गया है कि मकान अपने नाम करवा लेने के बाद बेटों ने दोनों की सुध नहीं ली। किसी तरह से दोनों अपना भरण-पोषण कर रहे थे लेकिन लॉक डाउन के बाद दोनों को खाने के लाले पड़ने शुरू हो गए। बंशीलाल की अल सुबह 5 बजे मौत हो जाने के बाद उनके तीनों बेटों ने आकर पिता का अंतिम संस्कार किया और बैकुण्डी को भी अपने साथ ले गए।
इन चार परिवारों के घर पहुंची समाजसेवियों और प्रशासन की मदद
वार्ड क्रमांक 5 से अपने 10 वर्षीय पौत्र देवेश गोस्वामी के साथ रह रही पैरालाइसिस से ग्रसित बिटोलीबाई इसी वार्ड में अपने 12 वर्षीय पौद्व प्रमोद धानुक के साथ रह रही 70 वर्षीय शीला धानुक के 3 बच्चों और बीमार पति के साथ एक वक्त के भोजन से गुजरा कर रही।
फूलन देवी तथा रामादेवी शाक्या के परिवार को समाजसेवी अशोक भरद्वाज की ओर से सूखे राशन किट मुहैया कराई गई। पका हुआ भोजन नगर परिषद की ओर से सीएमओ राघवेंद्र शर्मा ने वितरण कराया। इससे पूर्व विटोली बाई के घर पर समाजसेवी पिंकी दांतरे सूखा राशन मुहैया कराया। इतना ही नहीं वार्ड क्रमांक 7 में कुसुमलता आदिवासी के परिवार को भी सूखा राशन और पका हुआ भोजन मुहैया कराया गया अब प्रशासन की ओर से सभी परिवार को स्पष्ट किया गया है कि उन्हें नियमित रूप से भोजन के पैकेट उपलब्ध कराए जाएंगे।