दूसरे सत्र में संस्थान के निदेशक डॉ आरके पंडित ने नव प्रवेशित छात्र-छात्राओं को संबोधित किया। उन्होंने ज्ञान प्राप्त करने के अतिरिक्त छात्रों को कक्षा में बैठकर सुनने की आदत डालने की सलाह दी, जिससे कि वह अपने मन और आत्मा से पढ़ाने वाले से जुड़ सकेंगे। इसी क्रम में उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति शारीरिक तौर पर चुस्त रहना चाहता है। उन्होंने संस्थान में चल रहे फ्लैक्सिबल कॅरिकुलम का उल्लेख करते हुए कहा कि भविष्य में विद्यार्थी खुले मन और खुली सोच के साथ कॉलेज में आ जा सकेंगे।
साथ मिलकर काम करने की भावना रखें डॉ पंडित ने सेल्फ लर्निंग पर ज़ोर देते हुए कहा कि विद्यार्थियों को साथ मिलकर काम करना चाहिए तथा उनमें अपने काम को प्रदर्शित करने की क्षमता भी होनी चाहिए। साथ ही उन्होंने विद्यार्थियों को उनकी जिम्मेदारियों का एहसास कराते हुए सबको साथ लेकर चलने की सलाह दी। इसी क्रम में उन्होंने यह बताया कि मनुष्य अपने पूरे जीवन में मौखिक संवाद 20 परसेंट और शेष 80 परसेंट बॉडी लैंग्वेज के माध्यम से संवाद करता है।