इन दिनों त्योहारी मांग के चलते न सिर्फ मिलावटी मावा यहां आ रहा है बल्कि इसके साथ ही मीठा (कुंदा), मलाई बर्फी और मिल्क केक भी भेजा जा रहा है। बाद में ये माल यहां से पूरे शहर में भेज दिया जाता है। एक दिन पहले मलाई बर्फी की खेप पकड़ी गई थी।
मोर बाजार में मिलावटी मावे की खेप जैसे ही पहुंचती है वैसे ही उनकी डलियों को उठाकर यहां-वहां कर दिया जाता है। ये काम इतनी तेजी से होता है कि किसी के भी समझ में नहीं आता। मावे की डलियों पर संबंधित के नाम भी लिखे होते हैं। मोर बाजार के एक कारोबारी ने नाम न छापने की शर्त पर यहां तक बताया कि कार्रवाई से भी कुछ नहीं होता क्योंकि कार्रवाई होने से पहले ही फोन करके बता दिया जाता है कि टीमें सैंपङ्क्षलग के लिए पहुंच रही हैं। ऐसे में उस समय मिलावटी मावे को हटाकर अच्छा मावा रख दिया जाता है।
ग्वालियर मे इस समय नौ खाद्य सुरक्षा अधिकारी को मासिक वेतन 52 हजार रुपए मिलता है। इस हिसाब से नौ खाद्य सुरक्षा अधिकारियों पर सरकार एक माह में चार लाख 68 हजार रुपए खर्च कर रही है। इनका काम सिर्फ मिलावट को ही रोकना है, इसलिए यह दल अलग से खाद्य सुरक्षा के लिए ही बनाया गया है।
ये बात बिल्कुल सही है कि त्योहारों का सीजन आते ही मिलावटी मावे की बिक्री में बढ़ोतरी हो जाती है। इसे लेकर हम काम कर रहे हैं, एक-दो दिन में टीमें कार्रवाई करने पहुंचेंगी। मिलावटी मावे पर कार्रवाई को लेकर एक अभियान शुरू किया जाएगा।
अशोक ङ्क्षसह चौहान, अभिहित अधिकारी, खाद्य सुरक्षा एवं प्रशासन विभाग