भाई दूज पर बहनों को मिला वरदान
देवी यमुना अपने भाई यमराज को देखकर बहुत प्रसन्न हुईं और उनकी पूजा अर्चना की। यमुना ने स्वयं अपने हाथों से भाई को भोजन बनाकर खिलाया। यमराज ने यमुना को वरदान दिया कि अब से कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि को भाई दूज के नाम से जाना जाएगा। इस दिन जो भी भाई अपनी बहन के घर जाकर उनके हाथों से बना भोजन ग्रहण करेगा उसे यम का भय और अकाल मृत्यु का डर नहीं रहेगा। शास्त्रों में इस दिन यमुना में स्नान करना का भी विधान बताया गया है।
ये हैं सही समय
इस वर्ष 29 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 13 मिनट से द्वितीया तिथि आरंभ हो रही है। द्वितीया तिथि 30 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 30 मिनट तक रहेगी। शास्त्रों के अनुसार भाई दूज का त्योहार सूर्योदय के बाद और सूर्यास्त से पहले द्वितीया तिथि में मनाना चाहिए। शाम 5 बजकर 38 मिनट पर सूर्यास्त हो जाएगा। इस समय से पूर्व यह त्योहार शुभ चौघडिय़ा में मनाना चाहिए।
भाई दूज शुभ चौघडिय़ा और पूजन समय सुबह 10 बजकर 41 मिनट से 12 बजकर 5 मिनट तक लाभ चौघडिय़ा रहेगा। इस समय पूजन करना उत्तम रहेगा। इसके बाद 1 बजकर 30 मिनट तक अमृत चौघडिय़ा में भी त्योहार मनाया जा सकता है। अंतिम शुभ चौघडिय़ा 2 बजकर 50 मिनट से 4 बजकर 14 मिनट तक रहेगा।