script71 साल बाद यहां भाजपा-कांग्रेस की बढ़ी मुसीबत,अब ये पार्टी में खुशी की लहर | bhind Assembly Election 2018 Madhya Pradesh | Patrika News

71 साल बाद यहां भाजपा-कांग्रेस की बढ़ी मुसीबत,अब ये पार्टी में खुशी की लहर

locationग्वालियरPublished: Oct 14, 2018 02:09:03 pm

Submitted by:

monu sahu

71 साल बाद यहां भाजपा-कांग्रेस की बढ़ी मुसीबत,अब ये पार्टी में खुशी की लहर

election

71 साल बाद यहां भाजपा-कांग्रेस की बढ़ी मुसीबत,अब ये पार्टी में खुशी की लहर

ग्वालियर/भिण्ड। एक ओर सरकार प्रत्येक गांव तक सडक़ और बिजली पहुंचाने का दावा कर रही हैं वहीं अटेर विस क्षेत्र (09) के आधा दर्जन से ज्यादा गांव अपनी उपेक्षा और बदहाली की दास्तां खुद सुना रहे हैं। पत्रिका टीम मिर्चोली गांव पहुंची। जहां नाला पार करने के लिए विद्युत पोल से गुजरना पड़ता है। मिर्चोली के ग्रामीण और बच्चे रोज ही विद्युत पोल पर चलकर नाला पार कर रहे हैं। जिला मुख्यालय महज छह किमी दूर पर बसे ग्राम मिर्चोली में अभी तक बिजली तथा पक्का मार्ग तो दूर कच्चा भी मार्ग नहीं हैं। एन 92 से महज डेढ़ किमी दूरी पर बसे गांव के लिए खेतों की पगडंडियों से होकर आवागमन किया जा रहा है।
बीच में पडऩे वाले नाले को पार करने के लिए ग्रामीणों ने सीमेंटेड पोल डालकर जुगाड़ कर ली है। लेकिन बरसात में नाला ओवरफ्लो हो जाने पर यह व्यवस्था भी बिगड़ जाती है। पत्रिका टीम सुबह करीब ९ बजे मिर्चोली पहुंची जहां महेंद्र सिंह यादव के दरवाजे पर चौपाल लगी हुई थी। चौपाल में युवा तथा बुजुर्ग भी बैठे थे। पत्रिका टीम ने जब बताया कि वे गांव की स्थिति और समस्याएं जानने आए हैं तो सभी एक स्वर में भडक़ते हुए बोले कि कहीं कुछ नहीं है। सब दिखावा और आडंबर है। 67 वर्षीय गोपीराम यादव ने कहा कि बचपन से लेकर जवानी और अब बुढ़ापा भी बुनियादी सुविधाओं की उम्मीद में गुजर गया लेकिन नहीं मिलीं। महज डेढ़ किमी लंबा मार्ग गांव के लिए नहीं मिल पाया है। हरगांव में पक्के मार्ग हैं लेकिन हमारे गांव में तो कच्चा मार्ग तक नहीं है।
खेतों की पगडंडियां आवागमन का जरिया बनी हुईं हैं जिन पर केवल पैदल ही आवागमन कर सकते हैं। ६५ वर्षीय विद्याराम सिंह बरसात में नाला ओवरफ्लो हो जाने पर तैरकर पार करना पड़ता है। ऐसे में गांव में कोई बीमार हो जाए या प्रसव के लिए महिला को अस्पताल ले जाने में बेहद परेशानी होती है क्यों कि गांव तक चार पहिया वाहन ही नहीं पहुंचता। बीमार होने पर समय अस्पताल समय से नहीं पहुंच पाने से एक १२ वर्षीय बालिका सहित अभी तक आधा दर्जन लोगों की मौत हो चुकी है।
रामौतार सिंह ने बताया कि गांव में ०६ नि:शक्तजन, १४ बेवा महिलाएं और १८ वृद्धजन हैं इनमें से एक को भी शासन द्वारा दी जाने वाली सामाजिक सुरक्षा पेंशन का लाभ नहीं मिल पा रहा है। छात्र महेंद्र सिंह यादव ने कहा कि गांव में प्राइमरी स्कूल है लेकिन बरसात में रास्ता अवरुद्ध हो जाने के कारण शिक्षक ही गांव तक नहीं पहुंच पाते हैं। सुगम रास्ता न होना गांव के युवाओं को रोजगार में भी बड़ी बाधा है। विक्रम सिंह, गंभीर सिंह एवं हुकुम सिंह ने बताया कि पंचायत चुनाव में एक प्रत्याशी ने गांव के लिए सडक़ बनाने का न केवल वादा किया था बल्कि दो लाख रुपए नकद भी इस शर्त पर दिए थे कि यदि वह जीत जाएगा तो शेष आठ लाख रुपए की धनराशि मिलाकर १० लाख रुपए निजी स्तर तथा शेष शासन से स्वीकृत कराएगा।
जीतने के बाद भी उसने सडक़ नहीं बनवाई है। रामशरण सिंह यादव, लक्ष्मण सिंह एवं गोविंद यादव ने बताया कि हर पांच साल बाद चुनाव होते हैं और झूठे वादे कर वोट ले लिए जाते हैं लेकिन वे समस्याओं के दलदल से नहीं निकल पाए। अब वे न केवल मिर्चोली बल्कि दिन्नपुरा, मघारा, कोषढ़, कछपुरा जैसे गांव के लोग भी मतदान का बहिष्कार करने के मूड में हैं बल्कि गांव से मजबूरन पलायन करने का भी मन बना रहे हैं।
आंदोलन भी किए, फिर भी नहीं ली सुध
ग्रामीणों ने बताया कि मिर्चोली में अभी तक विद्युत लाइन नहीं है। शाम होते ही गांव में घुप अंधेरा हो जाता है। गांव के अंदर भी पक्की सडक़ नहीं होने से दलदल से होकर आवागमन करना पड़ रहा है। समस्या का निराकरण किए जाने को लेकर सरपंच से लेकर विधायक तथा सांसद तक से फरियाद की। सुनवाई न होने पर हाईवे पर ***** जाम कर आंदोलन भी किया लेकिन नतीजा सिफर ही रहा।
जातीय भेदभाव से समस्याग्रस्त है गांव
ग्रामीणों ने बताया कि अटेर के जिन गांवों में सडक़, बिजली एवं पेयजल जैसी बुनियादी सुविधा नहीं हैं वे गांव जातिय भेदभाव के शिकार हैं। लक्ष्मण यादव एवं गोविंद यादव ने बताया कि उनका गांव मिर्चोली यादव बाहुल्य है ऐसे में उनके गांव की समस्याओं को लगातार अनदेखा किया जा रहा है। जाति, धर्म से उठकर राजनीति करने वाला नजर नहीं आ रहा है।
समस्या बनी बच्चों के विवाह में बाधा
चौपाल में बैठे ग्रामीणों ने सामूहिक रूप से बताया कि नेताओं के छलावे से तंग आकर मतदान का बहिष्कार करने का मन बनाने को विवश हुए हैं जबकि गांव से पलायन इसलिए करना चाहते हैं कि विकराल समस्या के चलते अब लोग उनके गांव में अपनी बेटी या बेटे का रिश्ता जोडऩे से भी कतराने लगे हैं। इसकी वजह गांव की समस्याएं बताई गई हैं।
Assembly <a  href=
election 2018 Madhya Pradesh” src=”https://new-img.patrika.com/upload/2018/10/14/congress_leader_3566150-m.jpg”>यहां के लोग लाते हैं चंबल नदी से पानी
अटेर विधानसभा क्षेत्र के कछपुरा, मघारा, कोषढ़ एवं दिन्नपुरा में भी सडक़ एवं बिजली समस्या के अलावा पेयजल विकराल रूप धारण कर चुकी है। जनप्रतिनिधियों के आश्वासन के बाद भी नलजल योजना इन गांवों के लिए महज सपना है। मजबूरी में ग्रामीणों को चंबल नदी से पेयजल की आपूर्ति करनी पड़ रही है।
अन्य किसी को देंगे वोट
गांव के लोगों ने बताया कि अब गांव के लोग भाजपा और कांग्रेस से परेशान हो चुके है अब वह किसी अन्य पार्टी को ही वोट देना चाहते है जिससे की गांव में समस्याओं का समाधान समय पर हो सके । वहीं कुछ ग्रामीणों का कहना है कि इस बार वोट तो आप पार्टी को ही देंगे अथवा अन्य किसी को।
Assembly Election 2018 Madhya Pradesh
अटेर विस में कुल मतदान केंद्रों की संख्या 112
अटेर विधानसभा में कुल
मतदाता 207700
पुरुष मतदाता 117384
महिला वोटर्स 90313
थर्ड जेंडर मतदाता 03
मिर्चाली: कुल मतदान केंद्र 02
मिर्चाली में वोटर्स करीब 800
पुरुष मतदाता संख्या 550
महिला मतदाता संख्या 240
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो