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भेड़ फार्म में भेड़ों से अधिक पदस्थ कर्मचारी, फिर भी जमीन पर हुआ कब्जा

locationग्वालियरPublished: Jul 17, 2019 03:18:47 pm

Submitted by:

Gaurav Sen

विधानसभा में पूछा सवाल : विधायक के सवाल पर प्रशासन व विभाग ने की जांच

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भेड़ फार्म में भेड़ों से अधिक पदस्थ कर्मचारी, फिर भी जमीन पर हुआ कब्जा

शिवपुरी। शिवपुरी के पड़ोरा स्थित भेड़ फार्म के नाम से चल रही पशु चिकित्सा विभाग की एक विंग में भेड़ों से ज्यादा कर्मचारी पदस्थ हैं?, यह सवाल शिवपुरी विधायक यशोधरा राजे सिंधिया ने विधानसभा में लगाया तो आनन-फानन में प्रशासन व पशु चिकित्सा विभाग ने संयुक्त रूप से जांच की। साथ ही यह भी पूछा है कि भेड़ फार्म की कितनी जमीन पर कब्जा कर लिया गया?। इसमें महत्वपूर्ण बात यह है कि 4 साल पूर्व भेड़ फार्म की 886 हेक्टेयर जमीन उद्योग विभाग को उद्योग लगाने के लिए दी गई, जिसमें कोई उद्योग नहीं लग सका, जबकि उसी जमीन में से 10 हेक्टेयर जमीन पर बरसों से कब्जा कर खेती की जा रही है।

विधानसभा में शिवपुरी विधायक ने यह प्रश्र लगाया था कि भेड़ फार्म पर जितने कर्मचारी पदस्थ हैं, उनकी संख्या भेड़ों से अधिक है क्या?। विस में जवाब देने के लिए कलेक्टर ने तहसीलदार व पशु चिकित्सा विभाग के संयोजक से जब जांच करवाई तो वहां पदस्थ कर्मचारियों की संख्या 28 मिली, जबकि वहां मौजूद भेड़ 97 हैं। इस हिसाब से तीन से चार भेड़ों पर एक कर्मचारी पदस्थ है।

सवाल में यह भी पूछा गया कि भेड़ फार्म की कितनी जमीन पर कब्जा किया गया है और अभी तक विभाग ने उसके खिलाफ क्या कार्रवाई की है। इसमें भेड़ फार्म विभाग ने जवाब में बताया है कि हमारे पास अब महज 79 हेक्टेयर जमीन बची है, जिस पर कोई अतिक्रमण नहीं है। साथ ही यह भी बताया कि लगभग चार साल पूर्व भेड़ फार्म की 886 हेक्टेयर जमीन उद्योग विभाग को ट्रांसफर हुई थी और जिस 10 हेक्टेयर जमीन पर कब्जा करके खेती की जा रही है, उस पर अब उद्योग विभाग की मॉनीटरिंग में है।

जमीन तो ट्रांसफर हुई, नहीं खुल सका उद्योग
शिवपुरी विधायक यशोधरा राजे सिंधिया जब प्रदेश की भाजपा सरकार में उद्योग मंत्री थीं, तब भेड़ फार्म की जमीन को उद्योग धंधे खुलवाए जाने के लिए ट्रांसफर किया था। वो जमीन तो उद्योग विभाग को पहुंच गई, लेकिन उस पर उद्योग अभी तक नहीं लग सका। जब पूरी जमीन भेड़ फार्म के नाम थी, तब 10 हेक्टेयर जमीन पर किए गए कब्जे को हटवाने के लिए विभाग के कर्मचारियों ने शिवपुरी से लेकर भोपाल तक शिकायतें कीं। अब जबकि वो कब्जे वाली जमीन भी उद्योग विभाग के पास है, तो अब उस अतिक्रमण को हटाने की कोई कार्रवाई नहीं की जा रही। क्योंकि कब्जा तो तब हटता, जब जमीन पर उद्योग धंधे खुलते।

भेड़ फार्म का पूछा उद्देश्य
विधानसभा में पूछे गए सवाल में यह भी पूछा गया कि शिवपुरी भेड़ फार्म का उद्देश्य क्या है?। शिवपुरी में भेड़ फार्म की शुरुआत 1975 में की गई थी, जिसमें ऑस्ट्रेलिया के कॉरीडेल मेढ़े लाए गए थे। इसके बाद 1990 में टैक्सास से 20 रेंबोलेट मेढ़े व 80 भेड़ें लाई गई थीं। इन मेढ़ों से देशी भेड़ों को क्रॉस करके संकर नस्ल तैयार की जाती थी। अब आस्ट्रेलिया व टैक्सास के मेढ़े तो खत्म हो गए, लेकिन संकर किस्म के मेढ़े को ही जिले के सात भेड़ सेंटरों पर भेजा जा रहा है।

विधानसभा में जो सवाल पूछे गए, उनके जवाब हमने भेज दिए हैं। चूंकि जिस जमीन पर कब्जा है, वो हिस्सा तो उद्योग विभाग को ट्रांसफर कर दी है। अब भेड़ फार्म के नाम पर 79 हेक्टेयर जमीन बची है, जबकि 886 हेक्टेयर जमीन उद्योग विभाग को दे दी गई।
जगमोहन श्रीवास्तव, सब इंजीनियर भेड़ फार्म पड़ोरा

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