मुख्यमंत्री ने 22 मई को ग्वालियर दौरे के बीच दोनों पक्षों से बातचीत की थी। अनुसूचित जाति वर्ग ने और सामान्य वर्ग के संगठनों ने मुख्यमंत्री के सामने अलग-अलग बैठकों में अपना पक्ष रखा था। इसमें दोनों पक्षों ने घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए समाज में दूरियों को खत्म करने की बात कही थी। दोनों पक्षों की बात सुनने के बाद मुख्यमंत्री ने प्रकरण वापस लेने के संबंधत में कानूनी पहलुओं पर विचार कर उचित निर्णय का भरोसा दिया था।
ग्वालियर में सिर्फ प्रतिनिधियों से की थी चर्चा
सामान्य वर्ग के प्रतिनिधि मंडल में ग्वालियर चंबल के पदाधिकारी उपस्थित थे। इसके अलावा किसी को भी बैठक में प्रवेश नहीं दिया गया था। बंद कमरे में मुख्यमंत्री ने उनकी बात सुनी थी। दोनों बैठकों में मुख्यमंत्री ने 20-20 मिनट उनकी बात सुनी।
समाज के लिए सरकार ने की पहल
ग्वालियर में अप्रिय घटना में दोनों समाजों के लोगों पर मुकदमे बने थे। दोनों समाजों के बुलावे पर ग्वालियर में उनके प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की थी। वे चाहते थे दोनों पक्षों के मुकदमे वापस हों। सामाजिक समरसता की बड़ी पहल है, सरकार ने भी व्यापक विचार के बाद दोनों पक्षों के मुकदमे वापस लेने का फैसला किया है।
– शिवराज सिंह चौहान,सीएम
इस मामले में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर व ज्योतिरादित्य सिंधिया से भी बात की गई। मुख्यमंत्री ने भोपाल में इस संबंध में उच्चस्तरीय बैठक की। इसके बाद दोनों वर्गों के लोगों पर दर्ज प्रकरण वापस लेने पर विचार किया गया।
एफआइआर – 98
ज्ञात आरोपी- 368
अज्ञात आरोपी- 1000
गिरफ्तार आरोपी- 303
खात्मा प्रकरण- 40
चालान प्रकरण- 57
चालान आरोपी- 303
मूल विवेचना- 01
173 दप्रसं के तहत विवचेना- 23
पेडिंग- 57
आवदेन – 52, अनुशंसा – 09, लंबित – 01 2 अप्रैल को आंदोलन में जो मामले दर्ज हुए थे उनको वापस लिए जाने के आदेश सरकार की तरफ से हुए हैं। जो शासन की प्रकरण दर्ज हैं उनकी वापसी की कार्रवाई होगी। अभी लिखित आदेश का इंतजार है।
– अमित सांघी, एसएसपी ग्वालियर