ग्वालियर

भावनात्मक ताकत से हासिल कर सकते हैं बड़े लक्ष्य

आइटीएम यूनिवर्सिटी ग्वालियर में ‘इमोशनल इंटेलीजेंसÓ पर इंडस्ट्रियल एक्सपर्ट लेक्चर

ग्वालियरAug 01, 2021 / 11:46 am

Mahesh Gupta

भावनात्मक ताकत से हासिल कर सकते हैं बड़े लक्ष्य

ग्वालियर.
वास्तव में इमोशनल इंटेलीजेंस या भावनात्मक बुद्धि, इमोषनल ईक्यू और आईक्यू का मिश्रण है। सहानुभूति के साथ तर्क करने और समस्याओं को हल करने की आपकी जो क्षमता है, वही इमोशनल इंटेलीजेंस है। साथ ही साथ यह पैमाना एक आयुवर्ग के बीच में ही होता है जैसे स्टूडेंट्स के बीच ही इमोशनल इंटेलीजेंस की तुलना हो सकती है। कई ऐसे स्टूडेंट्स होते हैं, जो अपने साथी स्टूडेंट्स के अच्छे प्रदर्शन से डिप्रेशन में आ जाते हैं। वहां सबसे अधिक इमोशनल इंटेलीजेंस ही काम आती है। डिप्रेशन से बाहर निकलने के लिए जो साथी सफल हुआ है, उसकी वास्तविक कार्यशैली असफल स्टूडेंट को जाननी चाहिए। लेकिन तनावमुक्त रहते हुए, क्योंकि जब कोई व्यक्ति तनाव में रहता है तो उस व्यक्ति की दिल की धड़कन तेज हो जाती हैं और मांसपेशियों में भी तनाव आता है। जिससे उस व्यक्ति का आई क्यू लेवल शून्य हो जाता है। यह कहना था हिंदुस्तान पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड के कैपेबिलिटी बिल्डिंग के पूर्व जनरल मैनेजर और आईआइटीएम नागपुर के विजिटिंग प्रो डॉ आशीष सेन का, वे आइटीएम यूनिवर्सिटी ग्वालियर में यूनिवर्सिटी इंडस्ट्री सेल और स्कूल ऑफ मैनेजमेंट द्वारा आयोजित 5 वें इंडस्ट्रियल लेक्चर को मुख्य वक्ता के रूप में सम्बोधित कर रहे थे।
शुरुआत में डीन इंडस्ट्रियल इंटरेक्शन एंड कंसल्टेंसी प्रो डॉ आरके जैन ने कहा कि आज के इस टॉपिक पर होने वाले लेक्चर का सभी को लाभ मिलेगा और सभी की जीवनशैली में अंतर आएगा। एक्सपर्ट डॉ आशीष जैन ने कहा कि आज के तनावपूर्ण माहौल में व्यक्ति को खुश रहने और हंसने की आदत को विकसित करना होगा। एक परीक्षण के आधार पर हर व्यक्ति का आईक्यू लेवल अलग हो सकता है जैसे औसत आईक्यू किसी का 100 प्रतिशत है, तो दूसरे का 68 प्रतिशत है। आज लोग समस्याएं खोजने पर विश्वास ज्यादा रखते हैं, पर वास्तव में समस्या को खोजना नहीं, बल्कि ऐसा उपाय खोजना चाहिए, जिसमें समस्या का जन्म ही न हो यही वास्तव में इमोशनल इंटेलीजेंस है।
आइटीएम के वाइस चांसलर डॉ एसएस भाकर ने प्रारंभिक उद्बोधन में समझाया कि एक व्यक्ति की अपनी और दूसरों की भावनाओं को पहचाने की क्षमता को जो निर्धारित करता है, वही इमोशन कोशंट है। हम दूसरों की भावनाओं को पहचानने में सक्षम होते हैं और अक्सर हम अपने द्वारा दूसरों को एक मजबूत सहानुभूति दे सकते है। हर व्यक्ति मेंं ईश्वर ने एक भावनात्मक ताकत दी है, जिससे वह बड़े से बड़े लक्ष्य को हासिल कर सकता है। जिसके कारण परिणामस्वरूप एक व्यक्ति अच्छा ह्यूमन रिसोर्स बन सकता है। स्कूल ऑफ मैनेजमेंट की डीन डॉ वंदना भारती ने आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन असि प्रो अभिषेक सिंघल ने किया।
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