आलम ये है कि समारोह में खाना खाने एवं दफ्तरों में काम करने के दौरान बाइक स्वामी इस बात से आशंकित रहते हैं कि कहीं उनकी बाइक चोरी न हो जाए। ऐसे में वे बार-बार उठ-उठकर उसे देखने पहुंचते हैं। बाइक चोरी का भय लोगों में इतना बैठगया है कि कुछ लोग मोटरसाइकिलों में लोहे की सांकड़ के साथ ताला डालने को विवश हो गए हैं।
थानों में फरियाद भी ढंग से नहीं सुनती पुलिस : शहर के छोटी माता गढ़ैया निवासी मयंक दीक्षित कहते हैं कि दो दिन पूर्व घर के बाहर से ही बाइक चोरी हो गई थी। शिकायत दर्ज कराने जब सिटी कोतवाली पहुंचे तो थाना प्रभारी ने मामला दर्ज करने के बजाए उससे अभद्र व्यवहार किया। इतना ही नहीं ग्राम जामना निवासी सत्तार खां बताते हैं कि बैंक शाखा के बाहर से वर्ष 2015 में उसकी बाइक चोरी हो गई थी लेकिन अभी तक एफआईआर दर्ज नहीं की गई है।
“बाइक चोर गिरोह के नेटवर्क को ध्वस्त करने की योजना तैयार की जा रही है। पूर्व में गिरोह के कुछ सदस्य चोरी की बाइकों के साथ पकड़े गए हैं। आगे प्रभावी ढंग से कार्यवाही की जाएगी।”
राजेेंद्र वर्मा, एएसपी भिण्ड
पुलिस कड़ाई से नहीं करती पूछताछ
यदि पुलिस रिमांड के दौरान पकड़े गए चोर गिरोह से नेटवर्क की जानकारी हासिल नहीं कर पा रही है। यही वजह है कि बाइक चोर गिरोह मजबूती के साथ सक्रिय बना हुआ है।
हर साल बढ़ रहा चोरी का आंकड़ा
आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2015 में बाइक चोरी के 186 मामले दर्ज किए गए। वर्ष 2016 में मोटरसाइकिल चोरी के मामले बढ़कर 279 हो गए। वर्ष 2017 के अंत तक ये आंकड़ा ३०० को पार करते हुए 317 पर पहुंच गया है।
दूसरे राज्यों में ले जाई जा रही चोरी की बाइक
सूत्रों की मानें तो चोरी की गई बाइक यूपी तथा राजस्थान में दूसरे गिरोह के सुपुर्द कर दी जातीं हैं। लोग अपनी गाढ़ी कमाई से जिस बाइक को 60 से 80 हजार रुपए तक में खरीदते हैं उसी बाइक को चोर 15 से 25 हजार में विक्रय कर देते हैं। उनकी नजर में खुद की प्रतिदिन की आय 15 से 25 हजार है।