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Black money: काले धन की हुंडी

locationग्वालियरPublished: Feb 24, 2022 08:24:48 pm

Submitted by:

Nitin Tripathi

एक अनुमान के मुताबिक Gwalior के बाजारों में एक हजार करोड़ से ज्यादा की Black money लगाई गई है।

Patrika

Game of credit bill

ग्वालियर . काले धन पर मोटा ब्याज कमाने का धंधा हुंंंडी कारोबार की शक्ल ले चुका है। हुंडी यानी आयकर की नजरों से बचाकर काली कमाई से और मुनाफा कमाने का है। भरोसे पर शुरू हुआ हुंडी कारोबार करोड़ों रुपए के लेनदेन पर पहुंच चुका है। इसमें एक अनुमान के मुताबिक फिलहाल एक हजार करोड़ से ज्यादा की काली कमाई ग्वालियर के बाजारों में लगाई गई है।
हुंडी के इस कारोबार में काली कमाई के खेल को हालिया मामले से आसानी से समझा जा सकता है। हुंडी को लेकर हाल में सामने आए धोखेबाजी के मामले ने इस कारोबार की परतें खोलकर रख दी हैं। पत्रिका की जानकारी में सामने आया कि एक करोड़ से लेकर 32 करोड़ तक रुपए तक हुंडी के जरिए ब्याज पर उठाने वाले कारोबारियों की जुबान बंद है। माना जा रहा है कि सवा सौ करोड़ की धोखाधड़ी हुई है, बावजूद इसमें अभी तक ठगी का शिकार होने वाले चुप्पी साधे हुए हैं। इसके पीछे वजह आयकर चोरी है जो कारोबारियों के सामने आने पर उन्हें उलझा सकती है।

भरोसे के कारोबार से धोखाधड़ी तक…
बिचौलिया दिलाता है मुनाफा – बाजार में हुंडी का कारोबार बहुत पुराना है। आमतौर पर बिचौलियों के जरिए बाजार में रकम लगाना पसंद करते हैं। इसमें व्यापारी अपने पास रखी रकम को बाजार में लगाने की इच्छा जताता है। बिचौलिया बाजार के जरूरतमंद को रकम निर्धारित ब्याज पर देता है। इस तरफ मुनाफा मिलता रहता है।

देनदार को नहीं जानता लेनदार – इसके लिए कागज पर मूलधन और ब्याज के साथ उसकी मियाद लिखकर सील और दस्तखत लगते हैं। इस तरह भरोसे पर बड़ी रकम दी और ली जाती है। इसमें लेनदार को नहीं मालूम होता कि उसे किससे रुपए लेकर दिए गए हैं, लेकिन देनदार को मालूम होता है कि उसने किस व्यापारी या कारोबार पर अपना पैसा लगाया है।
सस्ता और आसान है कर्ज लेना- हुंडी के धंधे में बिचौलिए का भरोसा और लेनदार की साख अहमियत रखती है। बाजार में कर्ज की सबसे आसान व्यवस्था है। सिर्फ कागज पर सील और दस्तखत पर कर्ज मिल जाता है। ब्याज की रकम दो प्रतिशत तक सीमित रहती है। कई बार जरूरतमंद के हिसाब से उधारी पर ब्याज की दर भी ऊपर-नीचे होती है।

आप भी जानिए यह Black money क्यों है
आय का स्रोत छुपाते हैं – बड़े व्यापारी जो कमाते हैं उसपर income tax नहीं चुकाते। अपनी Income source कम बताकर बड़ी रकम को अलग रख देते हैं। अमूमन यही रकम हुंडी पर अन्य कारोबारियों को ब्याज पर दी जाती है। इस रकम पर लेनदेन करने वाले दोनों पक्षों के साथ बिचौलिया अपना कमीशन तय करता है।

30 हजार तक हुंडी वैधानिक – सामान्य रूप से 30 हजार रुपए तक के लेनदेन की हुंडी को ही वैधानिक मानते हैं। इसके ऊपर जो भी रकम हुंडी के जरिए दी जाती है उसका हिसाब-किताब सिर्फ भरोसे के कागज पर ही होता है। रजिस्टर्ड बिचौलिए भी आय का स्रोत जाने बगैर ब्याज पर यह रकम बाजार में चलाते हैं।

इन Markets में हुंडी का कारोबार ज्यादा
लश्कर सराफा, दाल बाजार, नया बाजार, लोहिया बाजार, मुरार और उपनगर ग्वालियर सराफा बाजार में बडे स्तर पर हुंडी पर पैसा लगाने का चलन है। इसके अलावा टोपी बाजार, सुभाष मार्केट, नजरबाग मार्केट, छत्री मंडी गल्ला बाजार सहित शहर के दूसरे बाजारों में छोटे कारोबारी भी हुुंडी पर पैसा लगाते हैं।

आयकर के दायरे में नहीं आना चाहते हैं…

बड़े सवाल…

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