ग्वालियर

पानी का काला कारोबार, मिनरल वॉटर के नाम पर पिला रहे बोरिंग का पानी

अगर आप बाजार से मिनरल वाटर की बोतल खरीदकर पी रहे हैं तो सावधान हो जाइए, क्योंकि यह पानी पीने से आपकी सेहत पर असर पड़ सकता…

ग्वालियरJun 27, 2022 / 07:41 pm

रिज़वान खान

पानी का काला कारोबार, मिनरल वॉटर के नाम पर पिला रहे बोरिंग का पानी

ग्वालियर. अगर आप बाजार से मिनरल वाटर की बोतल खरीदकर पी रहे हैं तो सावधान हो जाइए, क्योंकि यह पानी पीने से आपकी सेहत पर असर पड़ सकता है। शहरभर मेें ब्रांडेंड कंपनियों के नाम से मिलते-जुलते नाम और मिलती-जुलती पैकिंग में बोरिंग अथवा नल का पानी पिलाया जा रहा है। यह बोतल बंद पानी बिना बीआईएस (ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड) के ही बेचा जा रहा है। यह पानी काफी दिन तक बोतल में भरा रहने से आपकी सेहत पर इसका असर पड़ सकता है। वहीं इसको लेकर जिम्मेदार भी आंखें बंद किए बैठे हैं। ऐसे नहीं है कि जिम्मेदार अधिकारियों को शहरभर में चल रहीं अवैध पानी के प्लांट की जानकारी न हो, बल्कि जिम्मेदार मिलीभगत के चलते आंखें बंद किए बैठे हैं। प्रदेशभर में बिना बीआइएस का पंजीयन कराए लगभग डेढ़ हजार कंपनियां अवैध रूप से पानी की बिक्री कर रही हैं। प्रदेशभर में सिर्फ 165 कंपनियों ने ही पंजीयन कराया है।

यह है नियम
मिनरल वाटर प्लांट लगाने के बाबत लाइसेंस के लिए आवेदन दिल्ली में ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड को करना होता है। इसकी फीस तीन लाख रुपये से अधिक है। ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड के अधिकारी मौके पर जांच करते हैं और पानी का नमूना लेते हैं। नमूना पास होने के बाद अनुमति पत्र जारी किया जाता है। यह पत्र जिला स्तर पर खाद्य विभाग को दिखाया जाता है। इसके बाद प्लांट का लाइसेंस जारी होता है। लाइसेंस से पहले मशीन की गुणवत्ता की जांच सहित कई अन्य औपचारिकताएं पूरी कराई जाती हैं। वाटर प्लांट लगाने के लिए कम से कम दो सौ फीट की बोरिंग होनी चाहिए। वहां पानी खारा न आता हो और वाटर लेबल ठीक हो। इसके लिए आरओ मशीन की आवश्यकता होती है।

बिना सील बंद पानी का कारोबार भी जोरों पर
जिले भर में इन दिनों मिनरल वाटर के नाम पर शुद्ध पानी उपलब्ध कराने का धंधा जोरों पर है। मिनरल वाटर का प्लांट लगाने के लिए इस लाइसेंस का होना पहली शर्त है। बिना सील बंद पानी की बिक्री पर प्रतिबंध होने के बावजूद जिले में लगभग दर्जन भर कारोबारी प्रतिदिन केन और पाउच के माध्यम से हजारों लीटर पानी की आपूर्ति कर रहे हैं। नियमों की अनदेखी कर हो रहे पानी के इस कारोबार के प्रति जिम्मेदार भी उदासीन रवैया अपनाए हुए हैं।
ब्रांडेंड के मिलते-जुलते नाम से बिक रहा लोकल ब्रांड
जिलेभर मेंं ब्रांडेड कंपनियों के नाम से मिलते जुलते नाम और पैकिंग के पानी की जमकर बिक्री हो रही है। बिसलरी के नाम पर बीसीलेरी, एक्वाफिना के नाम पर एक्वेफिना, एक्वीफिना, किनले के नाम पर किनाले, कीनले के नाम से पानी की अवैध बिक्री की जा रही है। इसकी सत्यता की जांच के लिए पिंटो पार्क तिराहा स्थित एक दुकान से जब पत्रिका टीम ने पानी की बोतल मांगी तो उस पर बिसलरी के बजाय बीसीलेरी लिखा था। साथ ही जब पानी को टेस्ट किया गया तो यह बिल्कुल खारा था।
न लैब, न ही केमिस्ट कर रहे कारोबार
जिले में सैकड़ों अवैध वाटर ट्रीटमेण्ट प्लाण्ट चल रहे हैं। इनके पास कोई वैध लाइसेंस नहीं है। यहां तक कि वाटर टेस्टिंग के लिए न तो लैब है और न ही केमिस्ट। पानी का कोई रिकॉर्ड भी मेनटेन नहीं किया जाता। इन प्लाण्टों पर ब्राण्डेड कम्पनी के रैपर लगी हुई मिनरल वाटर की 20 लीटर के बोतलों में पानी भरा जाता है। दुकानों और घरों में सप्लाई के अलावा पॉलीथिन के पैकेटों में भरकर इनकी सप्लाई की जाती है। न ही किसी के पास बैच नम्बर है और न ही लाइसेंस।
ऐसे मिलता है आइएसआइ मार्क
दो तरह से बोतलबंद पानी की बिक्री की जाती है। इनमें एक मिनरल वाटर होता है तो दूसरा पैकेज ड्रिंकिंग वाटर है। पैकेज ड्रिंकिंग वाटर के लिए बीएसआइ से आइएसआइ 14543 मार्क तो मिनरल वाटर के लिए आइएसआइ 13428 मार्क लेना होता है। मिनरल वाटर प्राकृतिक तरीके से लिए गए पानी को टेस्ट करके बोतल मेंं बंद करके बेचा जाता है। वहीं पैकेज ड्रिंकिंग वाटर बोरबेल, नगर निगम के पानी को निकालकर आरओ की प्रक्रिया करके पैकेज बोतल बंद करके बेचा जाता है। जब तक पानी सील बंद नहीं होता तब तक नियम की जद मेंं नहीं आता।
रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड और आउटर में अधिक कारोबार
शहर में तो अमानक पानी का कारोबार जोरों पर है ही साथ ही शहर के आउटर इलाके, ग्रामीण एरिया, हाईवे, बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, अहाता, बीयरवार में अमानक पानी की बिक्री अधिक होती है।
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