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खुद के जीवन में अंधेरा फिर भी भर रहे बच्चों के भविष्य में रंग, पढि़ए होली की ये खास खबर

locationग्वालियरPublished: Mar 21, 2019 03:21:36 pm

Submitted by:

Gaurav Sen

खुद के जीवन में अंधेरा फिर भी भर रहे बच्चों के भविष्य में रंग, पढि़ए होली की ये खास खबर

blind teacher ramgopal rawat teaches in school

खुद के जीवन में अंधेरा फिर भी भर रहे बच्चों के भविष्य में रंग, पढि़ए होली की ये खास खबर

हिरोज खान @ शिवपुरी/करैरा

शासकीय माध्यमिक विद्यालय बहगंवा में पदस्थ एक दृष्टिहीन शिक्षक पिछले 21 वर्षों से बच्चों के भविष्य को संवार रहे हैं। बच्चों के कोर्स की किताबें शिक्षक के पास ब्रेल-लिपी में होने की वजह से वो उन्हें एक-एक पाठ को खुद ही पढ़ाकर समझाते हैं। स्कूल के हैडमास्टर का कहना है कि छटवीं कक्षा में हमारे स्कूल में आने वाले बच्चों को अपना नाम तक लिखना नहीं आता था, जबकि उन्हें तो आंखों वाले शिक्षकों ने पढ़ाया। लेकिन हमारे स्कूल में पदस्थ रामगोपाल से शिक्षा लेकर दर्जनों बच्चों ने फस्र्ट डिवीजन बनाई। इतना ही नहीं दृष्टिहीन शिक्षक एन्ड्रायड मोबाइल भी उपयोग करते हैं।

मूलत: करैरा के ग्राम धमधोली में रहने वाले रामगोपाल रावत, जन्म से ही दृष्टिहीन हैं तथा उनकी बचपन से ही पढऩे में बहुत दिलचस्पी थी। जिसके चलते रामगोपाल अपने मामा के साथ 1980 में ग्वालियर चले गए और वहां आठवीं तक माधव अंध आश्रम में रहते हुए शिक्षा ग्रहण की। बकौल रामगोपाल, दृष्टिहीनों को बोझ समझा जाता है, शायद इसलिए हमारे परिवार ने मुझे आगे पढ़ाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई, लेकिन मैं बिना उनसे कहे 1988 में जबलपुर चला गया और वहां 1992 तक रहकर हाईस्कूल व इंटर की परीक्षा पास की। इसके बाद परिवार के लोगों में चैतन्यता आई और वे समझ सके कि मैं भी कुछ कर सकता हूं। इसके बाद शिवपुरी में स्नातक व स्नातकोत्तर परीक्षा पास की और 1998 में शिक्षक बन गए। रामगोपाल ने शादी नहीं की और उन्होंने अपना पूरा जीवन व समय बच्चों को शिक्षा देने में लगा दिया।

शिक्षक रामगोपाल ने बताया कि बच्चों के पास जो कोर्स है, वहां पुस्तकें बे्रल-लिपि में हैं, जो छह बिंदुओं के आधार पर होती है। हम खुद पढकऱ बच्चों से भी पढ़वाते जाते हैं और फिर उन्हें वर्तमान परिवेश से जोडकऱ उस बात को समझाते हैं। जिस वजह से बच्चों को अच्छी तरह से समझ आता है। बच्चों से लिखवाने की बजाए हम उनसे हर प्रश्र का जवाब सुनते हैं और जहां भी गलत होता है, उन्हें फिर से बताते हैं।

एन्ड्रॉयड मोबाइल चलाते हैं
मोबाइल में टॉक बेल सिस्टम होता है, जिस पर जाने के बाद मोबाइल में से होने वाले प्रत्येक फंक्शन के बारे में बोलकर बताया जाता है। दो बार टच करने के बाद वो प्रत्येक मैसेज की जानकारी देता है। रामगोपाल ने अपने मोबाइल में से हैडमास्टर पंकज शर्मा का नंबर तलाश किया और डायल किया। इसके लिए मोबाइल के की-बोर्ड को भी पूरा याद किए हुए हैं। उनके मोबाइल में रिसीव व कॉल दोनों के सिस्टम अलग दिए हैं। यानि वे सामान्य लोगों की तरह ही आधुनिक भारत में मोबाइल के साथ हैं।

21 साल मेरे साथ उन्हें स्कूल में नौकरी करते हुए हो गए तथा मैं 9 साल से हैडमास्टर के पद हूं। मैंने 21 साल में देखा है कि ऐसे सैकड़ों बच्चे आते हैं, जो छटवीं में आने के बाद भी अपना नाम तक नहीं लिख पाते थे, लेकिन हमारे साथी टीचर ने दृष्टि न होते हुए भी उन बच्चों को ऐसा पढ़ाया कि दर्जनों बच्चे 9वीं से 10वीं में फस्र्ट डिवीजन लेकर आए। यह उन आंख वाले शिक्षकों के लिए प्रेरणास्त्रोत भी हैं।

पंकज शर्मा, हैडमास्टर मावि बहगंवा

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