scriptएचएलए टेस्ट का हॉफ मैच होने पर भी बोन मेरो ट्रांसप्लांट संभव | Bone merrow transplant possible even after half match of HLA test | Patrika News

एचएलए टेस्ट का हॉफ मैच होने पर भी बोन मेरो ट्रांसप्लांट संभव

locationग्वालियरPublished: Oct 14, 2019 12:02:16 pm

Submitted by:

Mahesh Gupta

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की स्टेट कॉन्फ्रेस

एचएलए टेस्ट का हॉफ मैच होने पर भी बोन मेरो ट्रांसप्लांट संभव

एचएलए टेस्ट का हॉफ मैच होने पर भी बोन मेरो ट्रांसप्लांट संभव

थैलेसीमिया से पीडि़त बच्चों और युवाओं के बोन मेरो चेंज होने का रेश्यो अब 30 परसेंट से बढ़कर 90 परसेंट तक पहुंच चुका है। इसका कारण यह है कि अब एचएलए टेस्ट हॉफ मैच होने पर भी बोन मेरो का ट्रांसप्लांट संभव है। जबकि पहले फुल मैच होने पर ही ट्रांसप्लांट हो सकता है। इस तरह से अब अधिक थैलेसीमिया पेशेंट को जीवन मिल पा रहा है। यह कहना था ब्लड स्पेशलिस्ट डॉ. दिनेश भूरानी का। वह इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की ओर से आयोजित 64वीं वार्षिक स्टेट कॉन्फ्रेस में शामिल होने ग्वालियर आए थे। इस अवसर पर देशभर से आए चिकित्सकों ने अपने-अपने विषय में स्पीच दी। आइएमए के प्रेसीडेंट डॉ. नीरज शर्मा ने अतिथियों एवं स्पीकर्स का वेलकम किया।

शादी के पहले कराएं चेकअप
डॉ. भूरानी ने बताया कि यदि एक ही परिवार में बहन को थैलेसीमिया है और वह बोन मेरो ट्रांसप्लांट की सोच रही है, तो उसके भाई का एचएलए हॉफ मिलने पर भी ट्रांसप्लांट हो जाएगा। यह सब संभव हो सका है मेडिसिन के इम्प्रूवमेंट से। उन्होंने बताया कि थैलेसीमिया के पेशेंट में निरंतर वृद्धि हो रही है। इसके लिए जरूरी है कि शादी के पहले पति और पत्नी दोनों का चेकअप किया जाए।

कैंसर से दूसरी ओवरी को अब बचाना संभव
दिल्ली से आए डॉ. रणदीप ने बताया कि ओवरी कैंसर में एक रिसर्च में यह सामने आया है कि अब यदि किसी एक ओवरी में कैंसर है, तो हम दूसरी ओवरी को एडवांस स्टेज में बचा सकते हैं। यानि एक यंग वुमन बच्चे को जन्म दे सकती है। जबकि पहले कैंसर होने पर दोनों ओवरी को बचाना मुश्किल होता था। कैंसर का कारण हमारी बिगड़ी लाइफस्टाइल है, जिस पर हमें ध्यान देना होगा।

अपने स्वास्थ्य के लिए निकालें समय
मप्र में आर्ट ऑफ लिविंग की पहली महिला चिकित्सक मृणाल गोरे ने बताया कि आज तनाव हर एक के पास है। फिर चाहे वह स्टूडेंट्स हों या सर्विसमैन या फिर हाउसवाइफ ही क्यों न हो। इसका सबसे अच्छा उपाय प्राणायाम है। इसके माध्यम से आप रिलैक्स फील करते हैं। खासतौर से महिलाएं घर के काम और बच्चों की परवरिश के आगे अपने बारे में नहीं सोच पातीं। इसके लिए जरूरी है कि वे प्राणायाम करें।

विभिन्न विषयों पर डिस्कशन
कॉन्फ्रेंस में विभिन्न विषयों पर चिकित्सकों ने अपना-अपना व्याख्यान दिया, जिसमें दिल्ली से डॉ राजू वैश्य हड्डी रोग से जुड़े सभी पहलूओं की जानकारी दी और उसके इलाज के बारे में जागरूक किया। जबलपुर से आए डॉ जीतेन्द्र भार्गव ने अपने प्लूमोनोलॉजी विषय पर अपना उद्बोधन दिया। अंतिम सत्र में डॉ रत्ना कौल ने मेडिकोलीगल पर अपना उद्बोधन दिया और कहा कि आजकल हॉस्पिटल में मेडिकोलीगल लागू होना बहुत जरूरी है।

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