यहां पर आसपास के क्षेत्रों में लोगों के घरों से कचरा उठाने वाली महिला कर्मचारी कचरा डाल देती हैं, जबकि क्षेत्र में इकोग्रीन कंपनी की गाडिय़ों को हर-घर से कचरा उठाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। अब प्रश्न यह है कि जब डोर-टू-डोर कचरा लिया जा रहा है तो फिर जमीन पर कचरा कैसे पहुंच रहा है, इस पर निगम अफसरों ने ठोस कार्रवाई नहीं की है।
-पार्क के पास गंदगी का ढेर लगा हुआ है। लोगों ने यहां पर मंदिर भी बना दिया है, इसके बावजूद कुछ लोग यहां गंदगी डाल रहे हैं और निगम अफसर इस पर कोई एक्शन नहीं ले रहे हैं, जिससे क्षेत्र में स्वच्छता अभियान पर सवाल उठ रहे हैं।
पुरुषोत्तम टमोटिया, भाजपा पार्षद
-आसपास की महिला सफाई कर्मी यहां पर कचरा डाल रही हैं, उनसे मना करते हैं तो वह लडऩे को तैयार हो जाती हैं। निगम अफसर भी इस पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।
बंटी, रहवासी
मुख्य सडक़ से जैसे ही शिवाजी पार्क के लिए एंट्री करते हैं, वहां एक मल्टी के गेट पर कचरे ढेर हैं और मलबा भरा हुआ है, जिससे लगता है कि यहां पर निगम अफसरों ने भ्रमण करना छोड़ दिया है, अगर भ्रमण जारी रहता तो गंदगी और मलबा उठाया जा चुका होता।
उक्त पुलिया पर के दोनों ओर आसपास के क्षेत्र से बहकर आया कचरा भरा हुआ था। पुलिया के ऊपर भी कचरे के ढेर लगे हुए थे। कचरा वाहन गली में नहीं जाते-नाले के अंदर और सडक़ पर कचरे का ढेर लगा है।
कचरा वाहन गली में नहीं जाते
लोगों को मजबूरी में रोड पर ही कचरा डालना पड़ रहा है। अफसर फील्ड में निकल नहीं रहे, इसलिए हालात बिगडऩे लगे हैं।
चतुर्भुज धनौलिया, कांग्रेस पार्षद एवं उपनेता प्रतिपक्ष, नगर निगम
रोड पर कचरा डालने आना पड़ता है
-कचरा गाड़ी की आवाज नहीं आती, वह गली में न आते हुए रोड से ही निकल जाती है। ऐसे हालात में गली के लोगों को रोड पर कचरा डालने के लिए आना पड़ता है।
ऊषा, रहवासी
यहां मंदिर के पास एक प्लॉट को ही लोगों ने कचरे का डपिंग सेंटर बना रखा है, जबकि यह घनी बस्ती के बीच में प्रमुख स्थान हैं। इसके बावजूद यहां पर कचरे के ढेर सुबह से शाम तक लगे रहते हैं।