आजादी के बाद यह पहला मौका होगा,जब ये वुमंस सोल्जर रिपब्लिक डे पर राजपथ पर अपना स्टंट दिखाया। इस टीम को सीमा भवानी का नाम दिया गया है।
BSF Women
ग्वालियर। देशभक्ति का जज्बा लेकर बीएसएफ ज्वॉइन करने वाली महिला जांबाज टीम की 2016 से चल रही बीएसएफ एकेडमी टेकनपुर में रोज आठ घंटे की प्रैटिक्स आखिरकार सफल हो ही गई। जिस टीम के सदस्यों को पहले साइकल चलाना भी नहीं आता था उन्होंने आज वो कर दिखाया जिसकी किसी ने उम्मीद भी नहीं की थी।
मुरैना की और टीम की सदस्य इंद्रा भदौरिया ने बताया कि उन्हें करीब १8 महीने पहले साइकल चलाना भी नहीं आती थी,लेकिन आज वे बुलेट पर स्टंट दिखाती हैं। केवल इंद्रा ही नहीं,उनके जैसी 26 बीएसएफ की वुमंस सोल्जर कड़ी मेहनत के बाद तैयार हैं। आजादी के बाद यह पहला मौका होगा,जब ये वुमंस सोल्जर रिपब्लिक डे पर राजपथ पर अपना स्टंट दिखाया। इस टीम को सीमा भवानी का नाम दिया गया है।
वुमंस सोल्जर को टेकनपुर की बीएसएफ अकादमी में ट्रेनिंग दी गई थी। जिसका लक्ष्य अगले गणतंत्र दिवस पर दिल्ली के राजपथ पर ऐसे स्टंट दिखाना है जो लोगों को सोचने पर मजबुर कर दें। बीएसएफ अफसरों और सैनिकों को ट्रेंड करने वाली एकेडमी में देशभर की विभिन्न बटालियन से ४६ महिला जवानों को भेजा गया है। ट्रेनर सब इंस्पेक्टर केएम कल्याण,कॉस्टेबल अशोक दीक्षित कहना है कि देश में पहली बार महिलाओं को ऐसी ट्रेनिंग दी जा रही है। जांबाज टीम की कप्तान स्टेजिंग नार्रेयांग बताती हैं कि ४६ में से चार जांबाज विवाहित हैं और एक तो दो छोटे बच्चों को छोड़कर,ट्रेनिंग लेने आई है।
SPECIAL: सिटी सेंटर चौराहे की दीवार पर बना है फोटोप्रेस को चूहा बताने वाले विज्ञापन में बिल्ली कौन? बीएसएफ की 46 किलो की रंजना २०० किलो की बुलेट इशारों पर चलाती हैं। जालंधर की रीमा को एक बुलेट पर 8 जांबाजों की टीम का करीब छह क्विंटल वजन लेकर चलना आश्यर्चजनक है। बुलेट हाथ छोड़कर, खड़े होकर या आठ लड़कियों को बैठाकर चलना उनके बाएं हाथ का काम है। 2016 में अक्टूबर महीने में जब बीएसएफ की वुमंस सोल्जर ट्रेनिंग लेने के लिए टेकनपुर स्थित अकादमी आईं तो अफसरों के दिमाग में आइडिया आया। यह आइडिया था कि वुमंस सोल्जर को बुलेट बाइक के स्टंट की ट्रेनिंग दी जाए। ४६ वुमंस सोल्जर अपनी इच्छा जाहिर की। अन्य को बीएसएफ की कमांडो स्क्वॉड से लिया गया। इसके बाद उनका प्रशिक्षण ग्वालियर के करीब स्थित टेकनपुर में शुरू हुआ। तभी ट्रेनिंग दौरान पता चला कि मोटरसाइकिल राइडिंग के लिए जिन महिला सोल्जर का चुनाव किया गया है, उसमें से सिर्फ तीन ने पहले स्कूटी चलाई थी जबकि दो महिला जवानों ने सामान्य मोटरसाइकल चलाई थी और 10 महिला जवानों को साइकल चलाना आता था।
38 महिला जवान ऐसी थी,जिन्हें साइकल चलाना भी नहीं आता था। इन वुमंस सोल्जर को प्रतिदिन ८ घंटे ट्रेनिंग दी गई और मात्र 3 महीने में 13 प्रकार की फॉरमेशन बनाना सीख चुकी थीं। इससे पहले महिलाओं की ऐसी टीम बना चुकी है,लेकिन वह कभी 8 फॉर्मेंशन से आगे नहीं पहुंच पाई। मुरैना की रहने वाली कॉन्स्टेबल इंद्रा भदौरिया बताती हैं कि मैंने घर पर सिर्फ मां को बताया और ट्रेनिंग करने चली आई। किसी और से पूछती तो मना कर दिया जाता और मुझे तो पहले साइकल चलानी भी नहीं आती थी। वहीं टीम की कैप्टन और लद्दाख से आईं सब इंस्पेक्टर स्टेजिंग नॉरयांग कहती हैं कि हमारे साथ ट्रेनिंग ले रहीं 46 में 43 ने कभी साइकिल भी नहीं चलाई थी,लेकिन टीम में शामिल होने के लिए सबने बुलेट चलाना सीखा।
इस टीम ने 22 प्रकार के फॉर्मेशन बना लिए हैं। इसीलिए इसे रिपब्लिक डे पर राजपथ की परेड में शामिल होने का मौका मिला है। यह देश की पहली वुमंस सोल्जर की टीम है, जो राजपथ पर प्रदर्शन करेगी। बीएसएफ की 106 महिला कमांडो की इस टीम को सीमा भवानी का नाम दिया गया है। इस टीम ने 16 इवेंट तैयार किए हैं। जिसके तहत ये कमांडो 26 बुलेट पर सवार होकर वूमन सैल्यूट, फिश राइडिंग, साइड राइडिंग, शोल्डर राइडिंग, शक्तिमान, पीकॉक, सीमा प्रहरी, गुलदस्ता और पिरामिड जैसे कांबिनेशन का प्रदर्शन करेंगी।