बस आपरेटरों का कहना है डीजल काफी महंगा हो गया और कोविड 19 के कारण कई चीजों में वृद्धि होने के साथ ही सवारियां भी कम मिल रही है, इसलिए किराया में 60 फीसदी की बढ़ोतरी की जाए। बस संचालकों का कहना है कि यदि कारए में वृद्धि नहीं की गई तो वे फिर से हड़ताल पर चले जाएंगे।
कोरोना महामारी के दौरान लाकडाउन में बसों का संचालन बंद हो गया था। करीब पांच माह संचालकों ने बसों का संचालन नहीं किया। लाकडाउन के दौरान जो गिनती की बसें चल रही थीं, वे मनमाना किराया वसूल कर रहे थे। कोविड 19 संक्रमण के कारण छोटे रूट पर सवारियां नहीं मिल रही हैं, इसलिए बस संचालकों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। बस संचालकों का कहना है कि बसों की संख्या तो बढ़ गई लेकिन यात्री नहीं बढ़ रहे हैं। कुछ रूट पर गिनती की सवांरियां लेकर जाना पड़ रहा है, जिससे डीजल का खर्च भी नहीं निकल पा रहा है। अब जब सरकार ने लाकडाउन के समय का टैक्स माफ कर दिया तो अब संचालकों ने किराया बढ़ाने की मांग की है।
क्या कहते हैं परिवहन आयुक्त
परिवहन आयुक्त मुकेश जैन के मुताबिक बस संचालकों ने किराया बढ़ाने का प्रस्ताव भेजा है। किराया बढ़ाने के प्रस्ताव को किराया निर्धारण समिति की बैठक में रखा जाएगा। डीजल महंगा होने से 60 फीसदी तक किराया बढ़ाने की बात बस संचालक कर रहे हैं, लेकिन डीजल को लेकर किराया नहीं बढ़ाया जा सकता है। अन्य पहलुओं को देखा जाएगा।
60 फीसदी किराया बढ़ाने का प्रस्ताव
इधर, मध्यप्रदेश रोडवेज बस आपरेटर यूनियन के सचिव पद्म गुप्ता कहते हैं कि डीजल और अन्य चीजें काफी महंगी हो गई हैं। कोविड 19 के कारण सवारियां भी नहीं मिल रही हैं। ऐसे में बस संचालकों को नुकसान हो रहा है। 60 फीसदी किराया बढ़ाने का प्रस्ताव शासन के सामने रखा गया है। यदि किराया नहीं बढ़ाया गया तो हड़ताल पर जाने के मजबूर होंगे।
पिछले सप्ताह हुई थी बैठक
इधर, पिछले सप्ताह ही बस आपरेटरों ने मंत्रालय में हुई बैठक के बाद शासन को प्रस्ताव भेज दिया था। प्रमुख सचिव परिवहन की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में आपरेटर एसोसिएशन ने प्रथम पांच किलोमीटर पर बसों के किराए में पांच की जगह 10 रुपए और उसके बाद प्रति किमी का किराया डेढ़ रुपए करने की मांग की थी।