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मेहनत से नहीं, दान, धर्म, पुण्य और तपस्या से अमीर बनता है इंसान

locationग्वालियरPublished: Mar 20, 2020 10:06:58 pm

Submitted by:

Narendra Kuiya

– हरिशंकरपुरम स्थित जैन मंदिर में बोले मुनि विहर्ष सागर

मेहनत से नहीं, दान, धर्म, पुण्य और तपस्या से अमीर बनता है इंसान

मेहनत से नहीं, दान, धर्म, पुण्य और तपस्या से अमीर बनता है इंसान

ग्वालियर. इंसान केवल मेहनत से ही नहीं बल्कि दान, धर्म, पुण्य और तपस्या से अमीर बनता है। मन की इच्छा पर संयम लाना ही तपस्या का मुख्य उद्धेश्य है। जो लोग अपने आप को स्वस्थ और सुंदर बनाना चाहते हैं वे तपस्या का आचरण करें। उक्त उद्गार मुनि विहर्ष सागर ने शुक्रवार को हरिशंकरपुम में धर्म शास्त्र चर्चा में व्यक्त किए। इस मौके पर मुनि विजयेश सागर एवं क्षुल्लक विश्वोत्तर महाराज भी मौजूद रहे।
जैन मुनि विहर्ष सागर ने कहा कि जब जीव के अंदर हलचल पैदा होती है तो कर्मों का आना शुरू हो जाता है। कर्म तो निर्जीव है, लेकिन आत्मा से इन्हें शक्ति मिलती है। पाप कर्म जीव को दु:ख और पुण्य कर्म जीव को सुख प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि कर्मों के आधार पर ही सुख-दुख मिलते हैं। पाप कर्मों से दु:ख और पुण्यकर्मों से सुख मिलता है।
हाथों से बाल उखाडकऱ किया केश लोचन
जैन मुनि विहर्ष सागर इन दिनों ग्वालियर प्रवास पर है। शुक्रवार को जब वे भक्तों के बीच थे, उन्होंने अपने हाथों से सिर व दाढ़ी और मूछों के बाल उखाडऩा शुरू कर दिए। करीब तीन घंटे में मुनि अपने हाथों से सिर, दाढी और मूछों व चेहरे के बाल हटा चुके थे। जैन समाज में इसे केश लोचन की प्रक्रिया कहा जाता है। मुनि विजयेश सागर ने भी विहर्श सागर के केश लोचन किए। केश लोचन की प्रक्रिया के बीच भक्तों ने जैन मंत्रों का जाप शुरू कर दिया।
24 घंटे तक अन्न-जल का त्याग किया
जैन मुनि हर तीन-चार महीने में हाथों से केश लोचन करते हैं। ज्यादातर मुनि एकांत में ही इस प्रक्रिया को करते हैं। वैराग्यमयी क्रिया में केश लोचन के उपरांत मुनि निर्जरा उपवास करते हुए पूरे 24 घंटे तक अन्न-जल का त्याग किया। इस दौरान नसिया जी मंदिर में धार्मिक भजनों के साथ-साथ महामंत्र णमोकार गूंजता रहा।
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