फ्लूकोनेजॉल, टरबीनस्किन दवा का इतना ज्यादा इस्तेमाल हुआ कि फंगल इंफेक्शन ने खुद को इन दवाओं के प्रति रजिस्टेंस कर लिया, जिसके चलते दवाइयों का असर न के बराबर हो गया। इसी के चलते जहां साधारण-सी बीमारी चार रुपए की कीमत में आने वाली एंटी फंगल दवाई एक सप्ताह तक लेने से ही ठीक हो जाती थी। वहीं, अब महंगे कैप्सूल दो महीने तक लगातार लेने के बाद भी ठीक नहीं हो रही है।
जेएएच में चर्म रोग विभागाध्यक्ष डॉ. अनुभव गर्ग कहते हैं कि मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। जिस तरह से मेडिकल दुकान से नाइट्रावेट सहित नशे की कई गोलियों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया गया है, वैसे ही स्टेरॉइड ट्यूब पर रोक लगना चाहिए। अभी हम सिर्फ मरीजों को ही जागरूक कर सकते हैं, इसके अलावा और कोई रास्ता नहीं है।
टीनिया यानी फंगल इंफेक्शन एक- दूसरे के संपर्क में आने से फैलता है। गीले कपड़े पहनने से बचें।
घर में किसी सदस्य को यह बीमारी है तो उसके यूज किए हुए कपड़े, चप्पल, कंघी यूज न करें।
300 रोजाना मरीज
150 फंगल के शिकार
9000 ओपीडी संख्या माह में
50 प्रतिशत बढ़े मरीज