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बीजेपी नेता और दरोगा आए लपेटे में हुआ केस दर्ज, ये है मामला

locationग्वालियरPublished: Dec 08, 2019 12:23:12 pm

Submitted by:

Gaurav Sen

case file against bjp leader and police official in shipuri : इसी घटनाक्रम को लेकर बस मालिक व भाजपा युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष मुकेश सिंह चौहान व बस यूनियन के अध्यक्ष तथा रिटायर दरोगा रणवीर सिंह यादव सुभाषपुरा थाने पहुंचे

BJP leader son knife attack at 2 youths, hospitalised

BJP leader son knife attack at 2 youths, hospitalised

शिवपुरी. जिले की सुभाषपुरा थाना पुलिस ने भाजपा के युवा मोर्चा जिलाध्यक्ष व रिटायर दरोगा पर शासकीय कार्य में बाधा डालने व अन्य धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज कर लिया। इन दोनों ने गत 4 दिसंबर को थाने में जाकर पुलिसकर्मियों से अभद्रता करते हुए भला-बुरा कहते हुए बस पर किए गए चालान पर कड़ी नाराजगी जताई थी। दोनों का थाने में हंगामा करते हुए का वीडियो भी वायरल हो गया था। इसके बाद पुलिस ने यह कार्रवाई की है।

जानकारी के मुताबिक 4 दिसंबर को सुभाषपुरा थाना पुलिस ने सिंह ब्रदर्स की एक यात्री बस को किसी कमी के चलते पकड़कर उसके खिलाफ एक हजार रूपए की चालानी कार्रवाई कर दी थी। इसी घटनाक्रम को लेकर बस मालिक व भाजपा युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष मुकेश सिंह चौहान व बस यूनियन के अध्यक्ष तथा रिटायर दरोगा रणवीर सिंह यादव सुभाषपुरा थाने पहुंचे, यहां पर दोनों ने पुलिसकर्मियों से काफी भला-बुरा बोलते हुए हंगामा मचाया तथा पुलिसकर्मियों को देख लेने की धमकी भी दी। इन दोनों का किसी ने वीडियो बनाकर सोशल साइट पर वायरल कर दिया था। मामले को गंभीरता से लेते हुए एसपी राजेश सिंह चंदेल ने थाना प्रभारी राघवेन्द्र यादव को दोनों पर कार्रवाई के आदेश दिए। इस पर से शनिवार को पुलिस ने दोनों के खिलाफ शासकीय कार्य में बाधा सहित अन्य धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज किया है।

पुलिस थाना परिसर में अभद्रता व हंगामा करने के साथ शासकीय कार्य में बाधा डालने का काम दोनों ने किया था। दोनों का वीडियो भी वायरल हुआ था। जांच के बाद दोनों के खिलाफ कार्रवाई की गई है।
राजेश सिंह चंदेल, एसपी, शिवपुरी

हर कार्यालय में हो आन्तरिक परिवाद समिति गठित
शिवपुरी.
आयुक्त महिला बाल विकास नरेश पाल ने कहा है कि सभी कार्यालयों में आंतरिक परिवाद समिति आवश्यक रूप से गठित की जाए। आयुक्त पाल ने कहा कि ऐसी प्रत्येक घटनाएं जिसमें महिलाओं का जेन्डर समानता, जीवन जीने और स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का हनन होता है, को सुप्रीम कोर्ट ने उत्पीडऩ माना है। उन्होंने कहा कि सरकारी, निगम या सोसायटी द्वारा स्थापित विभाग, संगठन, उपक्रम, संस्था, शासकीय यूनिट, प्राइवेट कंपनी, स्कूल, कॉलेज जहां किसी भी आयु की महिला पारिश्रमिक पर नियुक्त की गई हो, वो महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीडऩ अधिनियम-2013 के दायरे में आते हैं। पाल ने कहा कि इस कानून में नियोक्ता को अपने कार्यालय या कार्यस्थल को महिलाओं के लिए लैंगिक उत्पीडऩ से मुक्त माहौल बनाने के लिए जिम्मेदार बनाया गया है।

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