इस मामले में केन्द्र सरकार के परिवहन मंत्रालय, प्रमुख सचिव परिवहन विभाग मध्यप्रदेश शासन, नेशनल हाइवे अथॉरिटी, कलक्टर व एसपी सहित अन्य को पार्टी बनाया गया है। सुनवाई के दौरान शासन की ओर से न्यायालय में कहा गया कि एफआइआर करा दी गई है तथा पुल की मरम्मत का कार्य कराया जा रहा है। याचिकाकर्ता का कहना था कि पुल 2016 से क्षतिग्रस्त है, इसकी मरम्मत तब नहीं कराने से पुल और भी जर्जर हो चुका है।
याचिकाकर्ता का यह कहना है कि पुल के निर्माण में गुणवत्तापूर्ण सामग्री का प्रयोग नहीं होने से पुल की हालत खराब है, वहीं जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई करने के बजाए एक कर्मचारी पर मामला दर्ज कर दिया गया है।
एक साल में 294 लोगों की मौत हुई
याचिकाकर्ता द्वारा कहा गया कि इस मार्ग पर एक साल में 294 लोगों की मौत हो चुकी है। इस मार्ग पर यातायात का भारी दबाव है, लेकिन प्रशासन द्वारा ध्यान नहीं दिए जाने से हालात बिगड़े हैं। याचिका में इस आरओबी के साथ ही आगरा-झांसी राष्ट्रीय राजमार्ग को सुरक्षित बनाए जाने के लिए निर्देश प्रदान करने की मांग की गई है।
राजमार्ग पर चिकित्सा सुविधा की मांग
याचिका में मांग की गई है कि इस राजमार्ग पर आमजन की सुरक्षा के लिए पर्याप्त चिकित्सा सुविधा और एंबुलेंस सुविधा भी उपलब्ध कराई जाए। न्यायालय से शहर से जाने वाले भारी व हल्के वाहनों को निकाले जाने के लिए इसके बीच में आने वाली बाधाओं को दूर करने के निर्देश दिए जाने का भी निवेदन किया गया है।