बंटी की शादी करीब आठ साल पहले हुई थी। उसके तीन बेटियां है। सबसे बड़ी बेटी की 6 साल दूसरी बेटी तीन साल की जबकि सबसे छोटी बेटी महज 15 दिन की है। प्रसव के बाद सेहत बिगड़ जाने से हादसे के समय पत्नी पीहर में ही थी। पत्नी की हालत बिगड़ न जाए इस लिए उसे मौत की खबर ही नहीं दी गई। कॉल कर सिर्फ इतना बताया गया कि बंटी की तबियत ज्यादा खराब हैं।
पोस्टमार्टम हाउस पर माहौल उस दौरान गमगीन हो गया जब मां गुड्डी देवी बेटे और नाती का शव उतरते देख आपा खो बैठी। बिलख रही मां के मुंह से आवाज निकल रही थी कि हाय बंटी तूने मेरा तो बुढ़ापा ही बिगाड़ दिया अब जीकर भी क्या करेंगा। मां का हाहाकार सुनकर मौके पर मौजूद हर व्यक्ति की आंखे नम हो गई। इस हादस में मृतक आपस में चाचा भतीजे लगते थे।
घटना की जानकारी मिलते ही परिजन भी मौके पर पहुंचे। बेटा और नाती का लहूलुहान शव सडक़ पर पड़ा देख मां गुड्डी देवी बेहोश होकर गिर पड़ी। उधर सत्येंद्र की मां वंदना देवी भी गिर पड़ी। मृत बालक सारूपुरा शासकीय प्राथमिक विद्यालय में कक्षा दो का छात्र था।
यहां बता दें कि मृतक बंटी के पिता रामदास का परिवार मूल रूप से सारूपुरा का रहने वाला है। लेकिन वर्तमान में रामदास परा में रह रहा था जबकि बड़ा बेटा मोहरसिंह परिवार के साथ सारूपुरा में ही रहता है। मंगलवार सुबह पिता रामदास के पास बड़े भाई मोहरसिंह ने फोन करके बंटी को अपने पास सारूपुरा बुलाया था। इस पर पिता ने बंटी को सारूपुरा भेज दिया था लेकिन उसे क्या पता था कि उसकी आंखों का तारा बंटी अब कभी लौट कर नहीं आएगा।