शिकारी पक्षियों की प्रजाति मेे प्रमुख प्रजाति गिद्ध कुछ सालोंं पूर्व विलुप्त प्रजाति की श्रेणी में पहुंच गया था। यही वजह है कि सरकारों ने गिद्धों के संरक्षण के लिए उपाय शुरू किए और पशुओं को दी जाने वाली डायक्लोफेनक दवा पर प्रतिबंध लगाया। जिसके बाद गिद्ध फिर से पनपने लगे हैं। इसी के तहत प्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 2016 से राज्यव्यापी गिद्ध गणना भी शुरू की गई। जिसके तहत गत 7 फरवरी को हुई गणना में श्योपुर जिले में कुल 731 गिद्ध (कूनो वनमंडल में 381 और सामान्य वनमंडल में 350) मिले हैं, जबकि वर्ष 2019 की गिद्ध गणना में श्योपुर जिले में 422 गिद्ध (कूनो में 242 और सामान्य वनमंडल में 180 गिद्ध) ही मिले थे। इस लिहाज से दो साल की अवधि में ही जिले में 73.22 फीसदी गिद्ध बढ़ गए हैं। दोनों डिवीजनों में गिद्धों की वृद्धि से ग्वालियर-चंबल संभाग के सभी आठों जिलों में श्योपुर जिला पहले स्थान पर है।
श्योपुर में मिला लाल गर्दन वाला गिद्ध
गिद्धों की प्रजाति को बचाने के लिए सरकार ने पशुओं को दी जाने वाली डायक्लाफेनक दवा पर प्रतिबंध लगाया, जिसके बाद गिद्धों की संख्या बढऩे लगी है। लेकिन श्योपुर जिले में गिद्धों की अधिक वृद्धि का कारण यह है कि यहां बेहतर वनक्षेत्र तो है ही, साथ ही मवेशियों की संख्या भी काफी ज्यादा है। जिसके चलते गिद्धों को भेाजन के रूप में वनक्षेत्र में मृत मवेशी मिल जाते हैं। विशेष बात यह है कि श्योपुर जिले में गिद्धों की चार प्रजातियां मिली हैं, जिसमें लाल गर्दन वाला गिद्ध किंग वल्चर भी शामिल हैं।
ग्वालियर-चंबल के वनमंडलों मेे गिद्धों की संख्या
वनमंडल गिद्धों की संख्या
कूनो नेशनल पार्क श्योपुर 381
सामान्य वनमंडल श्योपुर 350
माधव नेशनल पार्क शिवपुरी 191
सामान्य वनमंडल ग्वालियर 162
सामान्य वनमंडल शिवपुरी 148
सामान्य वनमंडल मुरैना 113
सामान्य वनमंडल गुना 85
सामान्य वनमंडल दतिया 43
सामान्य वनमंडल भिंड 17
सामान्य वनमंडल अशोकनगर 17
डीएफओ, कूनो नेशनल पार्क श्योपुर पीके वर्मा ने बताया कि श्योपुर जिले में बेहतर वनक्षेत्र और आवोहवा है, साथ ही पशुओं की संख्या भी अच्छी है। यह सभी कारक गिद्धों की संख्या बढ़ाने में सहायक हैं।