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चंबल का तेवर 1.5 मीटर उतरा, लोगों का जीवन सामान्य बनाने में जुटा प्रशासन, हालत बहुत खराब

locationग्वालियरPublished: Sep 20, 2019 12:20:50 pm

Submitted by:

Gaurav Sen

chambal river water lavel of flood decreases 1.5 meter: बाढ़ की भयावह स्थिति से निपटने के लिए पिछले चार दिन से आर्मी, एनडीआरफ, होमगार्ड जवानों के अलावा समाजसेवी भी बचाव कार्य में लगे हुए हैं। गुरुवार दोपहर अटेर में जबलपुर से एसडीआरएफ का 20 सदस्यीय दूसरा दल मयंक सोनी के नेतृत्व में पहुंचा।

chambal river water lavel of flood decreases 1.5 meter

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कदोरा/अटेर/

चंबल में खतरे के निशान से नौ मीटर तक ऊपर पहुंचा पानी अब धीरे-धीरे कम होने लगा है। विपदा का सामना कर रहे दर्जन भर गांव के लोगों को अब जीवन पटरी पर लौटने के आसार नजर आने लगे हैं। गुरुवार शाम 4 बजे तक चंबल का जलस्तर डेढ़ मीटर कम हो गया था। जल संसाधन विभाग के अधिकारियों के अनुसार पानी के अब तेजी से कम होने के आसार बन गए हैं।

बाढ़ की भयावह स्थिति से निपटने के लिए पिछले चार दिन से आर्मी, एनडीआरफ, होमगार्ड जवानों के अलावा समाजसेवी भी बचाव कार्य में लगे हुए हैं। गुरुवार दोपहर अटेर में जबलपुर से एसडीआरएफ का 20 सदस्यीय दूसरा दल मयंक सोनी के नेतृत्व में पहुंचा। गुरुवार को बचाव दल द्वारा नावली वृंदावन व मुकुटपुरा से 30 लोगों को रेस्क्यू कर राहत शिविर में पहुंचाया गया। हालांकि इस बीच चौम्हों गांव में सरनाम सिंह की घोड़ी बाढ़ के पानी में डूबकर मर गई है। गुरुवार तक प्रशासन द्वारा 1400 से अधिक रेस्क्यू कर राहत शिविरों में पहुंचाया जा चुका है।

मवेशियों के साथ फंसे ग्रामीणों को भेज रहे भोजन के पैकेट
नावली वृंदावन एवं मुकुटपुरा में अपने मवेशियों के साथ अभी तक जो लोग गांव में डंटे हुए हैं उनके लिए नियमित रूप से बोट के जरिए सेना द्वारा भोजन के पैकेट ले जाए जा रहे हैं। इतना ही नहीं बीमार मरीजों के उपचार के लिए न केवल सेना के चिकित्सक बल्कि सिविल डॉक्टरों की टीम भी पहुंच रही है। वहीं बीमार पशुओं के उपचार के लिए वेटनरी चिकित्सकों का दल भी बाढ़ प्रभावित गांवों में पहुंच गया है।

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पानी से घिरे दुर्ग का रास्ता खुला
एक ओर जहां पानी उतरने की उम्मीद लिए मुकुटपुरा, रमा कोट और नावली वृंदावन के लोग अपनी छतों से चहुंओर भरे पानी को घंटों निहार रहे हैं वहीं अटेर के देवगिरि दुर्ग का रास्ता पूरी तरह से खुल गया है। मुकुटपुरा का शासकीय विद्यालय जो बुधवार तक 70 फीसदी पानी में डूबा था पूरी तरह से दिखाई पडऩे लगा है। दीवारों पर पानी उतरने के निशान ऐसे प्रतीत हो रहे हैं जैसे कि दीवार पर किसी दूसरे भवन की छाया पड़ रही हो।

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बीमारियों पर सतत निगरानी के लिए की तैनाती
अटेर क्षेत्र के बाढ़ प्रभावित गांवों में बीमारियों तथा बीमार लोगों की सतत निगरानी रखने के लिए देवालय में झींगुरीलाल, मुकुटपुरा के लिए रामप्रकाश श्रीवास, दिन्नपुरा के लिए प्रदीप गोयल, मघेरा में अटल यादव, मल्लपुरा में सुल्तान सिंह, अहरौली घाट में संजय बिधौलिया, नखलौली एवं कोषढ़ की मढ़ैया में प्रमोद सिंह, जनौरा में उदयनारायण पण्डेय, कोडर में धर्मेंद्र त्रिपाठी, कोट में नीरज शर्मा, कछियाना में सर्वेश मिश्रा, सौरा में नारायण यादव एवं मौरा में शिवेंद्र शर्मा को तैनात किया है।

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बाढ़ से हुए नुकसान के आकलन के लिए दल गठित
एसडीएम अभिषेक चौरसिया के मुताबिक अटेर के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में पशु हानि के अलावा भवन धराशायी होने से हुई क्षति के साथ-साथ बड़े पैमाने पर तबाह हुई फसल के नुकसान का आंकलन का भौतिक सत्यापन करने के लिए राजस्व विभाग की ओर से दल गठित किए गए हैं। नुकसान का भौतिक सत्यापन करने के लिए गठित किए गए दलों में पटवारी, पंचायत सचिव, एआरईओ कृषि विभाग को शामिल किया गया है।

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पशुओं के उपचार के लिए पहुंचाया अमला
बाढ़ प्रभावित गांव चौम्हो, तरसोखर में एचवीएफओ एमडी शर्मा, नावली वृंदावन, मुकुटपुरा में एवी शर्मा, चिलोंगा, रमा में जगदीश शर्मा, दिन्नपुरा, कोषढ़ की मढ़ैया में रामशरण दीक्षित, बरही, सपाड़ में फौजदार सिंह, ज्ञानपुरा, कांकेन का पुरा में सतेंद्र सिंह, जमसारा, आकौन में आरडी यादव, खैराहट, कछपुरा में चंदन सिंह, कनकपुरा व थौना में आरएस राठौर को बीमार पशुओं के उपचार तथा मृत पशुओं के शव नष्ट कराने के लिए तैनात किया गया है।

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