शहर को पानी की आवश्यकता है, पहले पानी लाने का प्लान लागू हो तो शहर के लिए बहुत अच्छा रहेगा। जब पानी आ जाएगा तो उसे शहर को वितरण करने के लिए अलग से प्लान बना सकते हैं। अमृत योजना के अंतर्गत यह काम कराया जाए तो बेहतर हो सकता है।
केके सारस्वत, रिटायर्ड पीएचई अधीक्षण यंत्री
चंबल प्रोजेक्ट
-लागत-398.45 करोड़पानी
-150 एमएलडी
-दूरी-65 किलोमीटर
पाइप का आकार-1500 एमएम व्यास की पाइप लाइन
कॉमन इंटेक वेल-250 एमएलडी का लगेगा
अब तक–25 जुलाई 2018 को एनसीआरपीबी राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, योजना बार्ड की बैठक हुई जिसमें-298.84 करोड़ जो कि 75 प्रतिशत राशि है का लोन 15 वर्ष के लिए स्वीकृत किया गया। 7 प्रतिशत की ब्याज दर तय की गई। 60 करेाड़ (15 प्रतिशत लोन की राशि) का अनुदान तय शर्तों पर काम पूरा करते हैं तो मिलेगा, 7 सितंबर को टेंडर आमंत्रित किए गए।
52.18- करोड़ पंपिंग मशीन, विद्युत बस स्टेशन, ट्रंासमिशन लाइन
1.25- करोड़ स्काडा सिस्टम
4.50- करोड़ यूटिलिटी स्थानांतरण व सर्वे कार्य
8.67- करोड़ आकस्मिक व्यय
8.67- करोड़ विभिन्न विभागों के व्यय व कंपनसेशन
356.70- करोड़ कुल व्यय
डीएसटी छोडकऱ41.76- करोड़
जीएसटी 12 प्रतिशत
398.46 करोड़ कुल योग
-वन अभयारण राष्ट्रीय राजमार्ग, रेलवे एवं राजस्व विभाग के साथ ही राज्य शासन से 398.45 करोड़ की गारंटी मिलना शेष है।
गारंटी और अनुदान पर मंथन के लिए करीब 398.45 करोड़ के प्रोजेक्ट के लिए नगर निगम का एनसीआर के फंड से लोन मिल जाएगा, लेकिन पिछली भाजपा सरकार में उक्त प्रोजेक्ट के लिए राज्य सरकार की ओर से उक्त लोन को चुक ाए जाने का आश्वासन निगम अफसरों को मिला था, लेकिन सरकार के बदल जाने के बाद उक्त प्रोजेक्ट के लिए लिया जाने वाला लोन राज्य सरकार चुकाएगी या नहीं इस पर संशय बना हुआ है।
यह बात सही है कि निगम को चंबल से पानी लाने पर बहुत मंहगा पड़ेगा, जिसकी किस्तें चुकाना आसान नहीं होगा। ऐसे हालात में पानी के रेट बढ़ाने ही होंगे। अमृत से पाइप लाइन लाने के सुझाव आएं हैं, जिसे वरिष्ठ अफसरों के समक्ष रखा जाएगा।
आरएलएस मौर्य, अधीक्षण यंत्री पीएचई नगर निगम।