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Independence Story: आजादी में शिवपुरी पुरानी यादें, चंद्रशेखर आजाद ने गुजारा था खनियांधाना में समय

locationग्वालियरPublished: Aug 16, 2019 04:32:43 pm

Submitted by:

Gaurav Sen

तो अंंधेरा होने लगा था, तो झांसी के मिस्त्री ने चंद्रशेखर आजाद को राजा के साथ यह कहते हुए भेज दिया कि वाहन कहीं रास्ते में धोखा न दे जाए।

chandra shekhar azad spending time in khaniadana during independence

Independence Story: आजादी में शिवपुरी पुरानी यादें, चंद्रशेखर आजाद ने गुजारा था खनियांधाना में समय

खनियांधाना। आजादी के दीवानों में शामिल रहे क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद ने शिवपुरी जिले के खनियांधाना में अपना लंबा समय गुजारा था। चंद्रशेखर आजाद ने अपना अज्ञातवास खनियांधाना में गुजारा और पहले वे गोविंद बिहारी मंदिर में पुजारी बनकर रहे, फिर उन्होंने यहां के सीतापाठा मंदिर में हथियार चलाना सीखने के अलावा हथगोला बनाना सीखा।

चंद्रशेखर आजाद खनियांधाना पहुंचने की भी एक कहानी है। खनियांधाना के राजा खलक सिंह अपना वाहन सुधरवाने के लिए झांसी जाते थे। एक बार जब राजा अपना वाहन सुधरवाने के बाद वहां से वापस लौट रहे थे, तो अंंधेरा होने लगा था, तो झांसी के मिस्त्री ने चंद्रशेखर आजाद को राजा के साथ यह कहते हुए भेज दिया कि वाहन कहीं रास्ते में धोखा न दे जाए। महाराज खलक सिंह के साथ चंद्रशेखर वाहन में सवार होकर आ रहे थे तो रास्ते में एक जगह बाथरूम करने के लिए रुके तो वहां एक सांप महाराज की तरफ बढ़ा, जिसे चंद्रशेखर ने देख लिया और बिना देर किए गोली चलाकर उसे मार दिया।

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चंद्रशेखर का निशाना देखकर खलक सिंह को शक हुआ तो उन्होंने रास्ते में उनसे पूछा कि तुम मिस्त्री तो नहीं हो। तब चंद्रशेखर ने बताया कि मैं देश की आजादी के लिए लड़ रहा हूं। उनकी बात से प्रभावित होकर राजा खलक सिंह ने चंद्रशेखर आजाद को पहले गोविंद बिहारी मंदिर का पुजारी बनाया और फिर सीतापाठा मंदिर पर रहते हुए चंद्रशेखर ने हथियार चलाना व हथगोला बनाना सीखा। चंद्रशेखर आजाद लगभग सात माह तक खनियांधाना में रहे तथा उनके पास जो पिस्टल थी, वो भी खनियांधाना के राजा खलक सिंह द्वारा ही दी गई थी।

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