इस साल चिकनगुनिया के मामले काफी कम आ रहे हैं। मामलों में सीरियसनेस भी नहीं दिख रही है। हालांकि अस्पतालों में इलाज की गाइडलाइन फॉलो की जा रही है। यह इसलिए भी किया जा रहा है, जिससे चिकनगुनिया के प्रेशर में दूसरी बीमारी मिस न हो जाए। हालांकि चिकनगुनिया ज्वॉइंट पर ही बार कर रहा है, लेकिन वायरस में सीरियसनेस नहीं है। बीते वर्ष चिकनगुनिया पॉजिटिव मरीजों की संख्या ३०० के पार पहुंच गई थी, लेकिन इस सीजन में दो केस ही सामने आए हैं।
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सीधे ज्वॉइंट पर बार
स्टेन में बदलाव भले ही हुआ है, लेकिन वायरस पहले की तरह ज्वॉइंट पर बार अब भी कर रहा है। अबकी बार चिकनगुनिया में रैशेज नहीं हैं, बल्कि ज्वॉइंट पर सीधे बार कर रहा है। बीते साल लोग इसका आंतक देख चुके हैं।
सीधे ज्वॉइंट पर बार
स्टेन में बदलाव भले ही हुआ है, लेकिन वायरस पहले की तरह ज्वॉइंट पर बार अब भी कर रहा है। अबकी बार चिकनगुनिया में रैशेज नहीं हैं, बल्कि ज्वॉइंट पर सीधे बार कर रहा है। बीते साल लोग इसका आंतक देख चुके हैं।
माधव प्लाजा परिसर: एसी दुकानें नहीं लुभा सकीं तो जीडीए ने अपनाया किराए का फार्मूला लक्षण : चिकनगुनिया में जोड़ों के दर्द के साथ साथ बुखार आता है और त्वचा खुश्क हो जाती है। चिकनगुनिया सीधे मनुष्य से मनुष्य में नहीं फैलता है। यह बुखार एक संक्रमित व्यक्ति को एडीज मच्छर के काटने के बाद स्वस्थ व्यक्ति को काटने से फैलता है। चिकनगुनिया से पीडि़त गर्भवती महिला को अपने बच्चे को रोग देने का जोखिम होता है।