अण्णा महाराज मठ के महंत मनीष महाराज ने बताया कि यह मिलन की परंपरा 225 सालों से अनवरत जारी है। तत्कालीन ग्वालियर महाराज दौलत राव शिंदे और महारानी बायजाबाई शिंदे के निवेदन पर उनके गुरु अण्णा महाराज और महिपति नाथ महाराज ने ग्वालियर में ही अपना स्थान स्थापित कर लिया। अण्णा महाराज को ग्वालियर महाराज यहां लेकर आए थे। अण्णा महाराज के आग्रह पर महिपति नाथ महाराज ज्ञानेश्वरी एकादशी के दिन ही आग्रह पर आए थे। तब से संतों के मिलन की यह परंपरा शुरू हो गई।
इस बार कोरोना संक्रमण के कारण चरण पादुकाओं को पालकी स्थान पर कार से दर्शनों के लिए दोपहर में ढोलीबुवा मठ से अण्णा महाराज मठ लाया गया। चरण पादुकाओं और स्मृति चिन्हों की पूजा-अर्चना के बाद अण्णा महाराज मठ के महंत मनीष महाराज और ढोलीबुवा मठ के सच्चिदानंद नाथ ढोलीबुवा महाराज ने प्रवचन दिए। मनीष अण्णा महाराज ने कहा कि किसी के दु:ख, कष्ट को दूर करने से बड़ा कोई और पुण्य कार्य नहीं है।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से कुंवर महाराज सिद्धपीठ के कपिल महाराज, सांसद विवेक नारायण शेजवलकर, भाजपा के जिलाध्यक्ष कमल माखीजानी उपस्थित थे। इस मौके पर मठ की ओर से समाजसेवा के लिए अपर्णा अजय पाटिल और भूपेंद्र जैन का सम्मान किया गया। इस अवसर पर अनंत मंगल, सुरभि पुराणिक, विशाल साधु, नूतन श्रीवास्तव आदि मौजूद रहे।