जानकारों के मुताबिक जिनमें एंटीबॉडी बन गई वह कोरोना से तो सुरक्षित हो गया, पर बच्चों में यह बात उलटी साबित हो रही है। बच्चे संक्रमित हुए और बिना अस्पताल गए ठीक भी हो गए लेकिन उनमें जो एंटीबॉडी बनी है, वही उनके लिए मुश्किल पैदा कर रही है। बच्चों में ये परेशानी कोरोना की दूसरी लहर के बाद उपजी है।
एमआइएस-सी के लक्षण
हार्ट व फेफड़े के आसपास पानी भरना, 24 घंटे तक तेज बुखार, चेहरे पर सूजन, पेट दर्द, स्किन रैशेज, धड़कन का तेज चलना, सांस फूलना, आंखे लाल होना, डॉठ, चेहरे व जीभ आदि पर सूजन, लाल चकते समेत कई लक्षण मिल रहे हैं।
ऐसे करें बचाव
– घर में किसी भी सदस्य के कोरोना संक्रमित होने पर सभी की जांच कराएं, बच्चों की भी जांच कराएं।
– बच्चों में उल्टी-दस्त, तेज बुखार, लाल दाने होने समेत कई लक्षण पाए जाने पर शिशु रोग विशेषज्ञ को दिखाएं।
– घर बैठकर या केमिस्ट के अनुसार व हर किसी चिकित्सक से उपचार न कराएं।
क्या कहते हैं डॉक्टर्स
डॉ. अजय गौड़, विभागाध्यक्ष, शिशु एवं बाल रोग विभाग, जीआर मेडिकल कॉलेज का कहना है कि यह पोस्ट कोविड बीमारी है। हमारे यहां करीब 50 बच्चे एमआइएस-सी बीमारी से पीड़ित बच्चे आ चुके हैं। अभी तक जितने भी केस आए हैं, उनके माता-पिता को जानकारी ही नहीं कि बच्चा संक्रमित हो गया।
डॉ. रश्मि गुप्ता, बाल रोग विशेषज्ञ का कहना है कि पिछले 15 दिनों से एमआइएस सी बीमारी के बच्चों की शुरुआत हुई है। कोविड एंटीबॉडी बढ़ने के कारण बच्चों में ये बीमारी हो रही है, ये एंटीबॉडी ही बच्चों के बीमार होने का कारण बन रही है। कई बार बच्चों के परिजनों को भी पता नहीं चलता।