ज्यादातर छोटी लड़कियां ही इससे आहत हो रही हैं। आज इस धरोहर को हम क्यों कमजोर कर रहे हैं। हमें इनके उत्थान के लिये विशेष कदम उठाने की जरूरत है। लड़के हो या लड़कियां ये सभी देश का भविष्य हैं। इसलिए हमें सभी बच्चों की शिक्षा की तरफ ध्यान देना चाहिए। बच्चों के रहन-सहन को ऊंचा उठाना हमारी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। इन्हें स्वस्थ, निर्भीक और योग्य नागरिक बनाने का प्रयास किया जाना चाहिए। यही सपना तो था हमारे भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का और यही संदेश जाता है।
नेहरू का सपना पंडित जवाहर लाल नेहरू का सपना था कि बाल श्रम रोधी कानूनों को सही मायनों में पूरी तरह से लागू किया जाना चाहिए। बच्चों का सही स्थान कल-कारखानों में नहीं बल्कि स्कूलों में होना चाहिए। जिससे ये बच्चे आगे चलकर देश को विकसित करने में अपना विशेष योगदान प्रदान कर सकंे।
चाचा नेहरू के सिद्धांत
असफलता तभी आती है जब हम अपने आदर्श, उद्देश्य, और सिद्धांत भूल जाते हैं।
आप तस्वीर के चेहरे दीवार की तरफ मोड़ के इतिहास का रुख नहीं बदल सकते।
आपत्तियां हमें आत्म-ज्ञान कराती हैं,ये हमें दिखा देती हैं कि हम किस मिट्टी के बने हैं जब तक मैं स्वयं में आश्वस्त हूँ की किया गया काम सही काम है तब तक मुझे संतुष्टि रहती है।
मैं पूर्व और पश्चिम का अनूठा मिश्रण बन गया हूँ, हर जगह बेमेल सा, घर पर कहें का नही।
कार्य के प्रभावी होने के लिए उसे स्पष्ठ लक्ष्य की तरफ निर्देशित किया जाना चाहिए।
हमें थोडा विनम्र रहना चाहिए, हम ये सोचें कि शायद सत्य पूर्ण रूप से हमारे साथ ना हो।
लोकतंत्र और समाजवाद लक्ष्य पाने के साधन है, स्वयम में लक्ष्य नहीं।