scriptकुपोषित बच्चों के लिए आगे आया शहर | City came forward for malnourished children | Patrika News

कुपोषित बच्चों के लिए आगे आया शहर

locationग्वालियरPublished: Sep 01, 2018 06:44:32 pm

Submitted by:

Harish kushwah

कुपोषण से जंग, किसी ने दो बच्चे तो किसी ने गांव लिया गोद

malnourished

कुपोषित बच्चों के लिए आगे आया शहर

शहर में कुपोषित बच्चों की संख्या लगभग २००० है। ये एेसी फैमिली के बच्चे हैं, जहां परिवार के सदस्य मजदूरी करते हैं और खाने के लिए लिमिटेड चीजें ही मिल पाती हैं। एेसे में वे पौष्टिक चीजें नहीं ले पाते, जिससे उनका स्वास्थ्य गिरता जाता है और वे कुपोषण की श्रेणी में आ जाते हैं। शहर से कुपोषण को खत्म करने का जिम्मा शहर ने उठाया है। १ सितंबर से ७ सितंबर तक नेशनल न्यूट्रीशन वीक मनाया जाता है। एेसे में हम आपको समाज के एेसे लोगों से परिचित करा रहे हैं, जिन्होंने शहर को कुपोषण से मुक्त करने का बीड़ा उठाया है। किसी ने दो बच्चों को गोद लिए, तो किसी ने पूरे गांव को ही गोद ले लिया है।
बरई गांव लिया गोद

कमेटी मेडिसिन विभाग, आइएमए और फोग्सी ने मिलकर बरई गांव को गोद लिया गया। जहां सर्वे में शहरिया आदिवासी के 60 बच्चे कुपोषित निकले। इन बच्चों को चिन्हित कर लिया गया है। जल्द ही पूरक पोषण आहार शुरू कर दिया जाएगा। चंूकि इन संस्थाओं में सभी डॉक्टर हैं, तो बच्चों का हफ्ते में एक दिन चेकअप होगा। साथ ही उनके पैरेंट्स का भी परीक्षण किया जाएगा।
४५ बच्चों को निकाल चुके कुपोषण से

ग्वालियर थाने के पास बसे आदिवासी एरिया में वर्तमान समय में २५ बच्चे कुपोषित हैं, जिन्हें हमने गोद लिया है। रोजाना उनके खाने-पीने के लिए फ्रूट्स, दूध, पाउडर दिया जाता है। हफ्ते में एक दिन हमारे डॉक्टर्स की टीम वहां पहुंचकर बच्चों का चेकअप करती है व उनका वजन कर स्थिति को समझती है। इसके पहले हम 45 बच्चों को कुपोषण से निकाल चुके हैं।
जीडी लड्ढा, बिजनेसमैन

260 बच्चों की कर रहे मॉनिटरिंग

रोटरी क्लब वीरांगना की अध्यक्ष संध्या राम मोहन त्रिपाठी ने 4 आंगनबाड़ी को गोद ली हैं। यहां इन्फ्रास्ट्रक्चर के साथ 260 बच्चों की देखरेख की जा रही है। उन्हें दिए जाने वाले खाने की क्वालिटी की मॉनीटरिंग की जाती है। स्वच्छता का ख्याल रखा जाता है। अलग-अलग सीजन बच्चों के लिए कपड़े दिए जाते हैं। इसी साल 64 में से 46 बच्चों को कुपोषण से बाहर निकाला जा चुका है।
संध्या राम मोहन त्रिपाठी, सोशल वर्कर

७५ वर्ष की उम्र में बच्चों को लिया गोद

राम गोपाल राठौर रिटायर्ड शिक्षक हैं। उनकी उम्र 75 वर्ष है। उन्होंने न्यू पारस विहार के दो कुपोषित बच्चों को 18 महीने पहले गोद लिया था। उस समय एक की उम्र ढाई साल और दूसरी की दो साल थी। बच्चों के लिए पौष्टिक आहार की व्यवस्था की। साथ ही उनके घर जाकर स्वच्छता के लिए अवेयर किया। आज वह बच्चे कुपोषण से बाहर आ चुके हैं और पूरी तरह स्वस्थ हैं।
राम गोपाल राठौर, रिटायर्ड शिक्षक

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