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शहर की आबो हवा बदलने 30 दिन दिए थे, हो गए 60, एक भी निर्देश पर नहीं हुआ अमल

locationग्वालियरPublished: Apr 01, 2019 01:12:59 am

Submitted by:

Rahul rai

प्रशासन के अधिकारियों को दिए गए समय से 30 दिन अधिक हो जाने के बाद भी इनमें से एक भी वादा पूर्ण नहीं हो पाया है। प्रशासन न तो काला धुआं छोडकऱ शहर की हवा को जहरीला बनाने वाले 813 वैध और 25 सौ अवैध टेंपो पर नियंत्रण कर सका है

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शहर की आबो हवा बदलने 30 दिन दिए थे, हो गए 60, एक भी निर्देश पर नहीं हुआ अमल

ग्वालियर। शहर की आबो हवा को सुधारने, रोज-रोज के जाम से निजात दिलाने, सडक़ों को दुरुस्त करने और हर जगह रोशनी के लिए 28 जनवरी को हुई बैठक में सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया और मंत्रियों द्वारा किए गए वादों को पूर्ण करने के लिए प्रशासन के अधिकारियों को दिए गए समय से 30 दिन अधिक हो जाने के बाद भी इनमें से एक भी वादा पूर्ण नहीं हो पाया है। प्रशासन न तो काला धुआं छोडकऱ शहर की हवा को जहरीला बनाने वाले 813 वैध और 25 सौ अवैध टेंपो पर नियंत्रण कर सका है, न ही व्यस्त सडक़ों पर जाम से निजात मिली है। सडक़ों की हालत भी पहले जैसी है और अब भी शहर के कई क्षेत्रों में रात होते ही अंधेरा पसर जाता है। स्वच्छता में भी कोई सुधार नहीं आया है, वहीं ग्रीन ट्रिब्यूनल को भेजी रिपोर्ट पर भी कोई अमल नहीं हुआ, लेकिन सांसद और मंत्रियों ने भी इस पर ध्यान नहीं दिया है कि अधिकारियों द्वारा उनके निर्देशों पर अमल किया जा रहा है कि नहीं।
वर्ष 2012 और 2016 में गंभीर रूप से प्रदूषित क्षेत्र घोषित ग्वालियर शहर को प्रदूषण से निजात दिलाने और विकास के कामों को लेकर 28 जनवरी को हुई बैठक में गुना शिवपुरी सांसद सिंधिया और प्रदेश के मंत्रियों प्रद्युम्न सिंह, लाखन सिंह, इमरती देवी और विधायकों ने 1 मार्च तक हालात सुधारने के लिए कहा था, लेकिन 30 दिन ज्यादा बीत जाने के बाद भी हालात वैसे ही हैं। इसी तरह राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल, राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण सेंट्रल बैंच भोपाल द्वारा मांगी गई रिपोर्ट में विभिन्न विभागों के जरिए प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने भी अपनी रिपोर्ट में पर्यावरण को बेहतर करने के लिए हो रहे सुधार को संतोषजनक माना है, जबकि वास्तविकता यह है कि 8 अक्टूबर 2018 को भेजी गई इस रिपोर्ट के बिंदुओं पर आंशिक अमल भी नहीं हुआ है।
(28 जनवरी की बैठक के वादे)
एक मार्च तक करने थे यह काम
-शहर में सडक़ों का बुरा हाल है, इन्हें ठीक किया जाना है। नगर निगम ने मिट्टी और मुरम भरकर लीपापोती करवा दी, लोगों की परेशानी जस की तस है।
– बाहरी क्षेत्रों की सडक़ों के सभी गड्ढे भरवाए जाने चाहिए। अभी तक सडक़ों में गहरे गड्ढे नजर आ रहे हैं।
-सभी सडक़ों पर कैट आइज लग जानी चाहिए, अभी तक पूरे शहर में नहीं लग पाए हैं। -शहर में कचरे का बेहतर प्रबंधन होना चाहिए, ताकि स्वच्छता रहे। नगर निगम ने इस पर विशेष ध्यान नहीं दिया, गंदगी बरकरार है।
-सडक़ों पर लगने वाले जाम में सुधार आना चाहिए। वर्तमान स्थिति यह है कि लगभग प्रत्येक व्यस्त सडक़ पर जाम के हालात रहते हैं।
-सभी सडक़ों पर स्ट्रीट लाइट जलनी चाहिए। नगर निगम इसे लेकर गंभीर नहीं दिख रही, परिणाम यह है कि वीआइपी सडक़ों को छोड़ दिया जाए तो रात में अधिकांश जगह अंधेरा रहता है।

ग्रीन ट्रिब्यूनल को भेजी रिपोर्ट
-काला धुआं छोडऩे वाले वाहनों को प्रतिबंधित करने के साथ 15 साल पुरानी बसों या अन्य सार्वजनिक वाहन सूचीबद्ध कर शहर से बाहर किए जाएंगे, लेकिन ऐसे वाहन शहर में बेधडक़ दौड़ रहे हैं।
-सीएनजी बसों का संचालन कराया जाएगा, शहर के फिलिंग स्टेशनों पर 6067 एलपीजी और 6981 सीएनजी वाहनों को ईंधन प्रदाय करने की क्षमता है। सडक़ों पर कुछ छोटे वाहन ही इससे चल रहे हैं।
-वाहनों की नियमित जांच की जा रही है, हकीकत यह है कि प्रदूषण विभाग द्वारा तय स्थानों पर जुगाड़ से प्रमाणपत्र बनवाया जा सकता है। विभाग के यंत्र अधिकतर समय बेकार साबित होते हैं।
-यातायात को सुगम बनाने बेहतर प्रबंधन का दावा किया गया है, जबकि शहर की व्यस्त सडक़ों पर हर समय जाम की स्थिति बनती है।
-3 हजार स्वच्छता संरक्षकों के माध्यम से बेहतर सफाई का दावा किया गया है, जबकि शहर में लगभग हर जगह गंदगी मिल जाएगी।
-हरियाली के लिए 80 सडक़ों के किनारे पेड़ लगाने का प्रस्ताव है। शहर में वर्ष 2017-18 की अवधि में 60 हजार पेड़ सडक़ों के किनारे और 40 हजार पेड़ खुली भूमि में लगाए जा चुके हैं।


शहर में व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के लिए लगातार भ्रमण कर रहे हैं। सडक़ों पर भी काम हुआ है, यातायात को व्यवस्थित करने के लिए पुलिस लगातार प्रयासरत है।
संदीप केरकेट्टा, एडीएम

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