ऐसे में दोपहर में आने वाले मरीज इलाज के लिए इधर-उधर परेशान होते रहते है। हालात यह है कि दोपहर 1.30 से 2.30 बजे तक डॉक्टर लंच पर जाते है। इसके बाद कई डॉक्टर तो वापस आते ही नहीं है। कुछ आते भी हैं तो वह ऑपरेशन थियेटर में पहुंच जाते है। इसके चलते अस्पताल में आने वाले मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। शनिवार को पत्रिका टीम ने दोपहर 3.30 बजे मुरार अस्पताल की ओपीडी में जाकर देखा तो कई डॉक्टर अपने चैंबरों से उठकर जा चुके थे
ईएनटी, अस्थि रोग और सर्जरी चिकित्सक का चैंबर बंद
अस्पताल के ओपीडी में ईएनटी, अस्थि रोग और सर्जरी चिकित्सक के कक्ष के बाहर मरीज डॉक्टर के आने का इंतजार कर रहे थे, लेकिन काफी देर तक मरीज इधर- उधर घूमते रहे और डॉक्टर नहीं आए। ओपीडी के कमरा नंबर 505 में डॉक्टर राजेन्द्र सिंह, कमरा नंबर 510 में डॉ. एसआर शर्मा, कमरा नंबर 511 में डॉ. सुनील शर्मा के चैंबर के गेट बंद थे। मरीज गैलरी में ही डॉक्टरों का इंतजार करने के बाद जब शाम 4 बजे के बाद भी डॉक्टर
नहीं आए तो बिना इलाज कराए ही वापस लौट गए।
डॉक्टर नहीं तो पर्चे क्यों बनाते हैं
ओपीडी में दूर दराज से मरीज इलाज कराने के लिए आते हैं, लेकिन लंच के बाद जब डॉक्टर नहीं बैठते हैं तो मरीजों के पर्चे के पैसे बर्बाद हो जाते हैं। यहां पर शाम 4 बजे तक पर्चे बनाए जाते हैं। शनिवार को ओपीडी में दिखाने आए सोनू और लीलाबाई ने बताया कि हमने डॉक्टर को दिखाने के लिए पर्चा बनवा लिया है। अब डॉक्टर बैठे ही नहीं है। ऐसे में हमारा पर्चा भी बेकार हो गया है। हमारी समस्या सुनने वाला कोई भी नहीं है।
डॉक्टरों को बैठना चाहिए
डॉक्टर ओपीडी के समय अस्पताल में तो रहते है, लेकिन यह बात सही है कि अपने चेंबरों में नहीं बैठते है। इसको लेकर मुझे भी शिकायत मिली है। सभी डॉक्टर अपने चैंबरों में बैठे इसके लिए डॉक्टरों को निर्देशित किया जाएगा। कुछ डॉक्टर आईसीयू में भी रहते हैं।
डॉ. वीके गुप्ता, सिविल सर्जन